Noida: अखिल भारतीय किसान सभा की ओर से तुगलपुर गांव में भगत सिंह की बैठक पर एडवोकेट गुरप्रीत सिंह, दीपक चेची ने सैकड़ो किसानों की जनसभा का आयोजन किया। जनसभा की अध्यक्षता ब्रह्म चेची ने की और संचालन शिशांत भाटी ने किया। जनसभा को संयोजक वीर सिंह नागर, उपाध्यक्ष अजब सिंह नेताजी, महासचिव जगदीश नंबरदार, मोहित भाटी, संजय चेची, अशोक भाटी, डॉ ओमप्रकाश, नितिन चौहान, प्रशांत भाटी, देवेंद्र वर्मा ने जनसभा को संबोधित किया।
किसानों का हक मारा गया
संयोजक वीर सिंह नागर ने संबोधित करते हुए कहा कि 30 जनवरी का आंदोलन मुख्य रूप से 10% आबादी प्लाट एवं नए कानून को लागू करने के संबंध में प्राधिकरण बोर्ड से पास प्रस्तावों को शासन से अनुमोदन करने के बाबत किया जा रहा है। आंदोलन के पहले चरण में प्राधिकरण ने किसान सभा से लिखित समझौता किया है। लेकिन 10% का मुद्दा अभी भी अधर में है। किसान सभा इसको हल करके ही दम लेगी। जिला अध्यक्ष डॉक्टर रुपेश वर्मा ने कहा कि यह लड़ाई किसानों के हक की लड़ाई है। लंबे समय से किसानों के 10% आबादी प्लाट की हक मारी की गई है। जमीनों की खरीदें नए कानून का उल्लंघन करके अत्यंत कम दामों पर की गई हैं एवं नए कानून में दिए जाने वाले लाभों से वंचित किया गया है।
किसान विरोधी है सरकार
महासचिव जगबीर नंबरदार ने कहा कि केंद्र और राज्य की सरकार किसान विरोधी है। सरकार ने किसानों की आमदनी 2022 तक दोगुनी करने का वादा किया था। लेकिन किसान आत्महत्या के लिए मजबूर हैं। सरकार के खास पूंजीपतियों की संपत्ति पिछले तीन वर्षों में चार गुना बढ़ गई है। बड़े पूंजीतियों का 15 लाख करोड़ रूपया बैंकों ने माफ किया है। जबकि कुल मिलाकर किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी 2 लाख 71 हजार रुपए ही है। जो किसान कर्ज में आ गए, उन पर बैंकों का इतना दबाव है कि उन्हें आत्महत्या करनी पड़ रही है। फसलों के उचित दाम की कोई नीति सरकार की ओर से लागू नहीं हुई है। लागत से कम मूल्य पर किसान अपनी फसल बेचने को मजबूर है।
किसानों के हक की लड़ाई रहेगी जारी
एडवोकेट गुरप्रीत ने कहा कि हमारी लड़ाई भूमि अधिग्रहण से पीड़ित किसानों के हक की लड़ाई है। जिसे किसान सभा जीत कर ही दम लेगी। अंत में तुगलपुर गांव की ओर से भगत सिंह चेची ने आश्वासन दिया कि सैकड़ो की संख्या में 30 जनवरी को तुगलपुर के लोग आंदोलन में हिस्सा लेंगे। अजब सिंह ने कहा किसान सभा पक्का मोर्चा लगाएगी और तब तक मोर्चा लगेगा जब तक की 10% आबादी प्लाट का अनुमोदन शासन से होकर नहीं आ जाता।