22 जनवरी को जबसे पीएम नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की है तब से ही यहां भक्तों का तांता लगा हुआ है। हर दिन लाखों लोग भगवान के दर्शनों के लिए यहां आते हैं। रामनवमी पर किए गए सूर्यतिलक के अवसर पर भी लाखों लोग मौजूद रहे थे। साथ ही इस भव्य आयोजन के ऑनलाइन के माध्यम से भी लोग साक्षी बने थे ।

हर दिन एक लाख से अधिक लोग मंदिर में ‘दर्शन’ के लिए आ रहे
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय ने बताया कि प्राण प्रतिष्ठा के बाद से अभी तक लगभग 1.5 करोड़ लोग राम लला के दर्शन के लिए भव्य मंदिर में आ चुके हैं। हर दिन, एक लाख से अधिक लोग मंदिर में ‘दर्शन’ के लिए आ रहे हैं. 22 जनवरी को ‘प्राण प्रतिष्ठा’ के बाद से, लगभग 1.5 करोड़ लोग राम लला के ‘दर्शन’ के लिए आ चुके हैं.’ गौर करने वाली बात ये है कि आज यानि 22 अप्रैल को प्राण प्रतिष्ठा हुए पूरे तीन महीने हो गए हैं. अभी मंदिर का केवल ग्राउंड फ्लोर ही पूरा हुआ है जहां रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की गई थी, पहले फ्लोर का काम चल रहा है. मंदिर के चारों ओर 14 फीट चौड़ी सुरक्षा दीवार बनाई जाएगी. इस दीवार को मंदिर का ‘परकोटा’ कहा जाता है.

आने वाले दिनों में श्रद्धालु त्रेता युग जैसा अनुभव करेंगे
रामलला मंदिर कुल 2.7 एकड़ में राम मंदिर बन रहा है. इसकी ऊंचाई लगभग 161 फीट की होगी. मंदिर तीन मंजिला होगा. प्रत्येक फ्लोर की 20-20 फीट की ऊंचाई होगी. मंदिर निर्माण और अन्य प्रोजेक्ट में अभी और वक्त लग सकता है. मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने बताया कि अभी ग्राउंड फ्लोर का निर्माण किया गया है. पहली और दूसरी मंजिल दिसंबर 2024 तक पूरी हो जाएगी. लेकिन, अयोध्या में अभी से दिव्यता और भव्यता दिखने लगी है. आने वाले दिनों में यहां श्रद्धालु त्रेता युग जैसा अनुभव करेंगे. मंदिर की डिजायन से लेकर नागर शैली तक खास है.

भगवान राम के मंदिर के साथ ही 7 अन्य मंदिर भी बनाए जा रहे
राम मंदिर ट्रस्ट का कहना है कि कि परिसर में भगवान राम के मंदिर के साथ ही 7 अन्य मंदिर भी बनाए जा रहे हैं। महर्षि वाल्मिकी मंदिर, महर्षि वशिष्ठ मंदिर, महर्षि विश्वामित्र मंदिर, महर्षि अगस्त्य मंदिर, निषाद राज, माता शबरी, देवी अहिल्या मंदिर लोगों को सीधे त्रेतायुग से जुड़ाव महसूस कराएंगे। मंदिर के मुख्य द्वार को सिंह द्वार के नाम से जाना जाएगा. मंदिर का निर्माण पूरी तरह भारतीय परंपरानुसार और स्वदेशी तकनीक से किया जा रहा है. पर्यावरण-जल संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा कुल 70 एकड़ क्षेत्र में 70% क्षेत्र सदा हरित रहेगा। मंदिर के समीप पौराणिक काल का सीताकूप देखने को मिलेगा। परिसर के चारों कोनों पर सूर्य, भगवती, गणेश और शिव के मंदिर बनेंगे। उत्तरी और दक्षिणी हिस्से में अन्नपूर्णा और हनुमान जी का मंदिर होगा।

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