फिल्म तिरंगा आपने जरूर देखी होगी, उसमें एक गाना है तुम-तुम हो, हम-हम है, न तुम-कम हो और न हम-कम है, ये चंद लाइनें इन दिनों यूपी की सियासत के कद्दावर नेताओं में बिल्कुल ठीक बैठती है क्योंकि यूपी BJP में संगठन बनाम सरकार की लड़ाई में लगातार कुछ न कुछ ब़ड़े ट्वीस्ट सामने आ रहे है. कभी केशव प्रसाद मौर्या का पलड़ा भारी दिखता है तो कभी योगी आदित्यनाथ, लेकिन अब फिर से संगठन और सरकार के बीच एक नया मोड़ आ गया है. दरअसल BJP की तरफ से ALL IS WELL दिखाने की कोशिश लगातार की जा रही है, यही संदेश दिया गया कि योगी बनाम मौर्या की लड़ाई में सीजफायर हो गया. लेकिन अब सरकार बनाम संगठन की लड़ाई खुलकर सामने आ गई है. जिसकी सबसे बड़ी वजह नजूल की जमीन है. बता दें UP में नजूल जमीन विधेयक का मुद्दा गर्म है. अपने ही नेताओं के विरोध के बाद योगी सरकार को इस विधेयक को सेलेक्ट कमेटी में भेजना पड़ा है. उत्तर प्रदेश के सियासी गलियारों में इस विवाद को संगठन वर्सेज सरकार के रूप में भी दिखाया जा रहा है.

क्या होती है नजूल भूमि ?

नजूल भूमि ऐसे जमीन को कहा जाता है, जिसका कोई वारिस नहीं होता है. रिपोर्ट्स की मानें तो आजादी से पहले विरोध करने वाले लोगों और राजवाड़ाओं के जमीन को अंग्रेजी हुकूमत जब्त कर लेती थी. आजादी के बाद सरकार ने इन जमीन को सभी को वापस देने का फैसला किया. इन जमीनों को लेकर जिन लोगों का दावा सही पाया गया, उन्हें वापस कर दिया गया, जबकि बाकी के जमीन पर सरकार ने कब्जा कर लिया. यूपी के कई हिस्सों में अभी इन जमीनों पर लोगों का कब्जा है. इन कब्जा को मुक्त कराने के लिए ही सरकार विधेयक ला रही थी. जिसको लेकर अब सियासी तपीश बढ़ी हुई है

विधानसभा में पास लेकिन विधानपरिषद में अटका !

बता दें UP विधानसभा में भी इस बिल को लेकर विपक्ष के साथ ही सत्ता पक्ष के विधायकों ने विरोध किया. हालांकि सरकार ने इसे पास करवा लिया लेकिन विधान परिषद ‘ सरकार से बड़ा संगठन’ का दावा सही साबित हुआ. प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने इस बिल को प्रवर समिति को भेजने की सिफारिश कर दी. जिसकी वजह से बिल अटक गया. अब प्रवर समिति इसका अध्ययन कर बदलाव के सुझाव के साथ अपनी रिपोर्ट देगी. इतना ही नहीं योगी सरकार के नजूल जमीन विधेयक का विरोध सहयोगी दलों ने भी किया है. केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने विधेयक बनाने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की है. यूपी सरकार में मंत्री संजय निषाद ने कहा है कि हमारे रहते यह विधेयक पास नहीं होगा. विधेयक को लेकर अखिलेश यादव ने तंज कसा है. उन्होंने कहा है कि नजूल जमीन पर सबसे ज्यादा कब्जा बीजेपी के नेताओं ने कर रखा है. बीजेपी पहले उन पर से कब्जा हटवाए. फिर इस पर कुछ एक्शन ले. अखिलेश ने कहा कि एकतरफ ये विधेयक लाते हैं और दूसरी तरफ इनके नेता विरोध कर रहे हैं, जनता सब देख रही है.

UP में नहीं All Is Well !

कहा जा रहा है कि बीजेपी के विधायकों ने बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी से मुलाकात की है. विधायकों ने बिल पास होने की सूरत में बीजेपी को पूरे राज्य में होने वाले भारी नुकसान की आशंका जताई. नेता विधान परिषद केशव प्रसाद मौर्य भी विधेयक से असहमत दिखे. खास बात ये कि विधानसभा में में बिल का विरोध करने वाले दोनों विधायक सिद्धार्थ नाथ सिंह और हर्ष बाजपेई प्रयागराज क्षेत्र से आते हैं. डिप्टी सीएम केशव मौर्य भी इसी क्षेत्र से हैं. जिसके बाद सियासी भूचाल देखने को मिल रहा है वहीं दिल्ली तक भी ये चर्चा छिड़ी है कि यूपी में कुछ भी ALl IS WELL नहीं है

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