लोकसभा चुनावों के तीन चरण पूरे हो चुके हैं। वहीं चौथे चरण में 10 राज्यों की 96 सीटों पर 13 मई को मतदान होना है। चौथे चरण में कई दिग्गजों की किस्मत का फैसला होना है। इसके साथ ही बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए और विपक्षी इंडिया गठबंधन के बीच भले सीधा मुकाबला है। चौथे फेज में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, सपा प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी,अधीर रंजन चौधरी जैसे दिग्गज नेताओं की अग्निपरीक्षा होनी है। जहां AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी को बीजेपी की माधवी लता से टक्कर है तो वहीं बहरामपुर सीट पर कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी और टीएमसी के यूसुफ पठान के बीच जोरदार मुकाबला है. जबकि कन्नौज लोकसभा सीट पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव की बीजेपी के सुब्रत पाठक से कांटे की टक्कर है। बेगुसराय सीट पर गिरिराज सिंह और सीपीआई से अवधेश कुमार राय मैदान में है। ऐसे में चौथे चरण की हाई प्रोफाइल सीटों पर सभी की निगाहें लगी हुई है.

कन्नौज में अखिलेश और सुब्रत पाठक आमने-सामने
सपा प्रमुख अखिलेश यादव कन्नौज लोकसभा सीट पर एक बार फिर से अपनी पैठ बनाने उतरे हैं। साल 1998 से 2014 तक हुए आम चुनाव और उप चुनाव में लगातार सपा जीती। अखिलेश यादव ने इस सीट पर हैट्रिक मारी। 2000 से लेकर 2009 तक अखिलेश कन्नौज सीट से जीत दर्ज की थी और 2012 में छोड़ दी थी, जिसके बाद 2014 में उनकी पत्नी डिंपल यादव जीतने में सफल रहीं। 2019 में बीजेपी के सुब्रत पाठक ने डिंपल यादव को करारी मात देने में सफल रहे थे। इसीलिए अखिलेश यादव अब फिर से कन्नौज सीट से उतरे हैं तो बीजेपी से सुब्रत पाठक और बसपा से इमरान बिन जफर पर दांव खेला है। वही कन्नौज सीट पर इस बार कांटे की टक्कर मानी जा रही है।

बेगूसराय सीट से गिरिराज सिंह दूसरी बार मैदान में
बिहार की बेगूसराय लोकसभा सीट पर भी तगड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा। बेगुसराय सीट पर गिरिराज सिंह दूसरी बार चुनावी मैदान में उतरे हैं। उनके सामने सीपीआई से अवधेश कुमार राय मैदान में है। वहीं बसपा से चंदन कुमार दास मैदान में है। 2019 में गिरिराज सिंह ने कन्हैया कुमार को मात देकर बेगुसराय पर कब्जा जमाया था, लेकिन इस बार इंडिया गठबंधन के तहत यह सीट लेफ्ट को मिली है और अवधेश कुमार के रूप में भूमिहार पर दांव खेला गया है। जिसे कांग्रेस और आरजेडी का समर्थन है। बेगुसराय सीट के सियासी समीकरण के नजरिए से देखें तो भूमिहार, मुस्लिम और दलित वोटर काफी अहम है। इस तरह भूमिहार बनाम भूमिहार की लड़ाई बनती नजर आ रही है।

2004 से कब्जा जमाए ओवैसी को टक्कर देने उतरीं माधवी
हैदराबाद की गिनती देश की सबसे हाई प्रोफाइल लोकसभा सीटों में होती है। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी एक बार फिर से हैदराबाद सीट से चुनावी मैदान में है। उनके खिलाफ बीजेपी ने माधवी लता को उतारा है। कांग्रेस से मोहम्मद वलीउल्लाह समीर, बीआरएस से श्रीनिवास गड्डाम तो बसपा ने केएस कृष्णा सियासी किस्मत आजमा रहे हैं। इस सीट पर ओवैसी का 2004 से कब्जा है, उससे पहले उनके पिता छह बार सांसद रहे हैं। इस तरह ओवैसी के लिए काफी मजबूत सीट मानी जाती है, लेकिन बीजेपी इस बार कांटे की टक्कर देती नजर आ रही है।

बहरामपुर सीट पर टीएमसी और बीजेपी के सामने कड़ी चुनौती
पश्चिम बंगाल की बहरामपुर लोकसभा सीट पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। इस सीट पर कांग्रेस के दिग्गज नेता अधीर रंजन चौधरी चुनाव मैदान में हैं तो उनके सामने ममता बनर्जी ने क्रिकेटर यूसुफ पठान पर दांव लगाया है। बीजेपी से निर्मल कुमार साहा मैदान में है। मोदी लहर में भी अधीर रंजन बहरामपुर सीट को जीतने में कामयाब रहे हैं। जहां पर टीएमसी और बीजेपी अभी तक उनके सामने चुनौती पेश नहीं कर सकी हैं। इस बार ममता ने मुस्लिम दांव खेलते हुए युसुफ पठान पर दांव खेला है। अब देखना होगा कि इस त्रिकोणीय मुकाबले की गेंद किसके पाले में गिरती है।

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