हरियाणा विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद खराब रहा है. चुनाव परिणाम आते ही जहां सहयोगी दलों ने कांग्रेस के खिलाफ हमला बोलना शुरू कर दिया, तो वहीं अब पार्टी के अंदर भी रार छिड़ी हुई है. पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के घर हार के कारणों पर चर्चा के लिए बैठक की. जिसमें पार्टी के प्रमुख चेहरे ही गायब रहे. हरियाणा चुनाव में कांग्रेस ने जिस पर सबसे ज्यादा भरोसा दिखाते हुए हर बात स्वीकार की वहीं भूपेंद्र सिंह हुड्डा बैठक में नहीं पहुंचे. प्रदेश अध्यक्ष उदय भान ने भी बैठक से दूरी बनाए रखी. जिस पर राहुल गांधी भड़क उठे. सूत्रों के मुताबिक राहुल ने कहा कि लोगों ने निजी हित को पार्टी हित से ऊपर रखा है. इसके साथ ही बताया जा रहा है कि कांग्रेस हरियाणा चुनाव में हार की समीक्षा के लिए फैक्ट फाइंडिंग कमिटी गठित करेगी.

एग्जिट पोल और एग्जेक्ट रिजल्ट बिल्कुल उलट- माकन
राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के घर गुरुवार सुबह हुई बैठक में शामिल हुए, पार्टी के वरिष्ठ नेता और हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी पर्यवेक्षक अजय माकन ने कहा कि ‘एग्जिट पोल और एग्जेक्ट रिजल्ट बिल्कुल उलट हैं जिसकी समीक्षा होगी. चुनाव आयोग की भूमिका पर पार्टी के अंदर ही मतभेद है. इस पर भी मंथन हुआ है. हरियाणा चुनाव के नतीजे अप्रत्याशित हैं. चुनाव के एग्जिट पोल और रिजल्ट में जमीन-आसमान का अंतर है. हमने चुनाव परिणाम से जुड़े अलग-अलग वजहों की चर्चा की है. चुनाव आयोग से लेकर आपसी मतभेद पर भी बात हुई, जिस पर हम आगे और कार्रवाई करेंगे.’ हालांकि बैठक में कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, कांग्रेस के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष अजय माकन जैसे वरिष्ठ नेता मौजूद रहे.

कांग्रेस की हार में बागियों का अहम रोल
हरियाणा में कांग्रेस को केवल 37 सीटें मिलीं जबकि बीजेपी 48 सीटें जीतकर लगातार तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है. हरियाणा के चुनाव में कांग्रेस के 89 उम्मीदवारों में से 72 हुड्डा के वफादार थे. सैलजा और कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला अपने कुछ समर्थकों को ही टिकट दिला सके. हाईकमान ने कुछ और उम्मीदवारों को टिकट दिए. हाईकमान समर्थित तीन उम्मीदवार हुड्डा के करीबी बागियों की वजह से हार गए. इस हार के बाद पार्टी के अंदर कई लोग हाईकमान पर सवाल उठा रहे हैं.

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