रबूपुरा के गांव भाईपुर में द्वारका प्रसाद के द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन वृंदावन धाम से पधारे कथा वाचक आचार्य हरिकृष्ण कौशिक ने श्रद्धालुओं को माता कुंती स्तुति, भीष्म स्तुति एवं भगवान के विभिन्न चरित्रों का वर्णन किया। इस दौरान कथा सुनने आए भक्त भावविभोर हो उठे।

‘जो दुख में हमारा साथ दे उसी को भगवान कहते हैं’
कथा वाचक आचार्य हरिकृष्ण कौशिक ने कथा वाचन करते हुए बताया कि जब तक पांडवों पर विपत्ति रही, तब तक भगवान ने पांडवों का साथ नहीं छोड़ा और जैसे ही पांडव महाभारत का युद्ध जीते। भगवान श्री उनसे विदा लेकर अपनी द्वारका लौट आये। यह कथा में संदेश देती है कि विपत्ति में केवल और केवल भगवान ही काम आते हैं। जो सुख में साथ दें वह मनुष्य और जो दुख में हमारा साथ दे उसी को भगवान कहते हैं। कथा परिसर में संगीत की धुनों पर श्रोता जमकर झूमे। इस अवसर पर गांव एवं क्षेत्र के सैकड़ों भक्तों ने कथा श्रवण की।

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