कहते हैं कि चाहें कोई भी शख्स क्यों ना हो उसे परिवार और करियर के लिए एक बार तो घर छोड़ना ही पड़ता है, लेकिन चाहें वो जितनी भी दूर क्यों ना चला जाये उसे सफलता अपने गृह नगर या घर में ही मिलती है। आज हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि कई ऐसे सितारे और अन्य फील्डों के लोग हैं जो सियासी पिच पर अपनी किस्मत आजमाने जरूर उतरे, लेकिन कुछ ही समय में उन्हें पता चल गया कि यहां उनकी दाल गलने वाली नहीं है। दरअसल उत्तर प्रदेश की सियासी पिच पर इस बार मुंबई के कई कारोबारी किस्मत आजमाने मैदान में उतरे हैं। जिन्होंने कभी रोजी-रोटी की तलाश में अपनी जन्मभूमि छोड़कर मुंबई में अपना ठिकाना बनाया। जिन्होंने मेहनत के बलबूते दौलत तो बना ली, लेकिन सियासी रुतबा हासिल करने के लिए फिर से घर लौटना पड़ा। वहीं आज 2024 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की आधा दर्जन से ज्यादा सीटों पर मुंबई में रह रहे कारोबारी और एक्टर चुनाव लड़ रहे हैं। अब देखना दिलचस्प होगा कि पर्दे और बिजनेस के क्षेत्र में ऊंचाइयों पर पहुंचने वाले ये दिग्गज राजनीति की फील्ड पर टिक पाते हैं या नहीं। आइए जान लेते हैं कि कौन- कौन से कारोबारी और सितारे इस बार मैदान की धूल खाने उतरे हैं-

चुनाव खत्म होते ही बीजेपी के राम पहुंच गए मुंबई
इस फेहरिस्त में मेरठ से अरुण गोविल और मथुरा से हेमा मालिनी चुनाव मैदान में उतरी थीं। दोनों मुंबई के रहने वाले हैं। चुनाव खत्म होते ही गोविल मुंबई लौट चुके हैं। जिस कोठी में अरुण गोविल रुके हुए थे वहां सन्नाटा पसर गया है। बताया जा रहा है शूटिंग के सिलसिले में उन्हें जल्दी मुंबई जाना पड़ा है। हेमा मालिनी पिछले दो चुनाव से मथुरा सीट से सांसद चुनी जा रही हैं। तीसरी बार चुनावी मैदान में उतरी हैं। मेरठ और मथुरा में वोटिंग हो चुकी है।

दल-बदल के खेल में माहिर संगम लाल गुप्ता
संगम लाल गुप्ता प्रतापगढ़ लोकसभा सीट पर बीजेपी के टिकट पर दूसरी बार चुनावी मैदान में उतरे हैं। संगम लाल गुप्ता मूलरूप से कारोबारी हैं। मुंबई में उनकी पहचान एक बिल्डर के रूप में है। गुजरात में भी उनका कारोबार फैला हुआ है। 2017 के विधानसभा चुनाव में गुप्ता बीजेपी में थे। प्रतापगढ़ सदर विधानसभा सीट गठबंधन के तहत अपना दल (एस) के खाते में चली गई थी। इस पर गुप्ता ने आनन-फानन अपना दल (एस) का दामन थामा, चुनावी मैदान में उतरे और विधायक बनने में सफल रहे। 2019 में प्रतापगढ़ लोकसभा सीट बीजेपी के खाते में आई तो गुप्ता बीजेपी से टिकट ले आए और सांसद बन गए। अब दोबारा वो प्रतापगढ़ सीट से किस्मत आजमा रहे हैं। उनका मुकाबला सपा के एसपी पटेल से है।

जौनपुर में त्रिकोणीय घेरे में फंसे कृपा शंकर सिंह
जौनपुर लोकसभा सीट से बीजेपी के टिकट पर कृपा शंकर सिंह चुनावी मैदान में उतरे हैं। कृपा शंकर सिंह जौनपुर के ही रहने वाले हैं और मुंबई में बड़े कारोबारी हैं। अभी तक वहीं पर सियासत कर रहे थे। वहां उत्तर भारतीयों के बड़े नेता के तौर पर पहचान थी। कांग्रेस में बिल्कुल छोटे पायदान से राजनीति की शुरुआत कर मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष तक का सफर तय किया और महाराष्ट्र के गृह राज्य मंत्री भी रहे। कांग्रेस के सत्ता से हटते ही सिंह ने बीजेपी का दामन थामा और अब अपनी जन्मभूमि जौनपुर से चुनावी मैदान में हैं, लेकिन राह आसान नहीं है। सपा से इस सीट पर बाबू सिंह कुशवाहा मैदान में हैं। बसपा से धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला रेड्डी चुनाव लड़ रही हैं। इसलिए मुकाबला त्रिकोणीय माना जा रहा है।

दूसरी बार चुनावी मैदान में उतरे बीपी सरोज
मछलीशहर लोकसभा सीट से बीजेपी ने एक बार फिर से बीपी सरोज को उम्मीदवार बनाया है। बीपी सरोज की गिनती महाराष्ट्र के बड़े उद्योगपतियों में होती है। एक समय मुंबई अपनी रोजी-रोटी के लिए गए थे, लेकिन सियासत के लिए उन्हें यूपी लौटना पड़ा। सरोज ने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत 2009 में महाराष्ट्र से की थी। उन्होंने महाराष्ट्र में बसपा के प्रदेश सचिव के रूप में पार्टी ज्वाइन की। उसके बाद 2012 में उत्तर प्रदेश की राजनीति में सक्रिय हुए और बसपा के टिकट पर 2014 का लोकसभा चुनाव भी लड़ा था। इसके बाद 2019 में बीजेपी का दामन थाम लिया और सांसद बने। इस तरह दूसरी बार चुनावी मैदान में किस्मत आजमा रहे हैं।

अपने समुदाय के दम पर राजेंद्र एस बिंद ने तैयार की सियासी जमीन
मिर्जापुर लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार राजेंद्र एस बिंद भदोही जिले के ज्ञानपुर के रहने वाले हैं। बिंद का मुंबई में कारोबार है। वो भदोही की राजनीति में सक्रिय रहे हैं और अपने समुदाय के जरिए सियासी जमीन तैयार की। इसके बाद सपा में शामिल हो गए। 2019 के चुनाव में उन्होंने भदोही से दावेदारी की थी। मगर, सीट बसपा के खाते में चली गई। इस बार भदोही से तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में सपा ने उन्हें फिर मिर्जापुर से उम्मीदवार बनाया है। मिर्जापुर में उनका मुकाबला अपना दल (एस) की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल से है। इस तरह से कुर्मी बनाम मल्लाह की सियासी फाइट मिर्जापुर में बनती नजर आ रही है।

इस बार भोजपुरी अभिनेता रवि किशन की टक्कर भोजपुरी अभिनेत्री से
गोरखपुर लोकसभा सीट से दूसरी बार बीजेपी के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे रवि किशन ने भोजपुरी के साथ ही बॉलीवुड की कई फिल्में की हैं। जौनपुर के रहने वाले रवि किशन ने अपने भविष्य को संवारने के लिए मुंबई को रुख किया था। इसके बाद भोजपुरी फिल्मों के जरिए रवि किशन ने अपनी पहचान बनाई और उसके बाद बॉलीवुड में कदम रखा। फिल्म अभिनेता के तौर पर कामयाबी हासिल करने के बाद सियासत में एंट्री ली। उन्होंने कांग्रेस का दामन थामा और जौनपुर सीट से 2014 में चुनावी मैदान में उतरे लेकिन जीत नहीं सके। इसके बाद उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया। बीजेपी ने 2019 के चुनाव में गोरखपुर सीट से प्रत्याशी बनाया और रवि किशन कामयाब रहे. बीजेपी ने एक बार फिर गोरखपुर सीट से टिकट दिया है। इस बार रवि किशन का मुकाबला सपा की काजल निषाद से है, जो भोजपुरी अभिनेत्री रह चुकी हैं।

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