लोकसभा चुनावों के पांचवें चरण की रणभूमि तैयार है। सियासी दल अपने-अपने शब्दबाण लेकर तैयार हैं। वहीं इस बीच यूपी के दो बाहुबलियों ने फैसले ने सियासी माहौल में हलचल मचा दी है। जहां एक ओर हर कोई बीजेपी का दामन थाम कर अपने दामन के दाग धोने में लगा है। फिर चाहें वो गैंगस्टर हो या सुर्खियों में बना रहने वाला नेता। वहीं दूसरी ओर प्रदेश के एक बाहुबली ने बीजेपी की सियासी गाड़ी में बैठने से मना कर दिया है, तो दूसरे बाहुबली ने बीजेपी के इस प्रस्ताव को ससम्मान स्वीकार कर लिया है। सूबे के ये दो बाहुबली कोई और नहीं बल्कि जौनपुर में पूर्व सांसद धनंजय सिंह और कुंडा से विधायक राजा भैया हैं। जहां जौनपुर में पूर्व सांसद धनंजय सिंह ने बीजेपी को समर्थन देने का ऐलान कर दिया है। वहीं दूसरी ओर कुंडा से विधायक राजा भैया ने बीजेपी को समर्थन देने से इनकार कर दिया और अपने समर्थकों को पसंद के आधार पर वोट देने की घोषणा कर दी है। अब देखना होगा कि दो बड़े बाहुबली नेताओं के इस ऐलान के बाद सियासत में और कौन सा मोड़ सामने आने वाला है।

क्या राजा भैया की ‘ना’ डुबो देगी बीजेपी की नैया?
यूपी की सियासत में बीजेपी से अलग रहकर भी राजा भैया सत्ताधारी दल के साथ चल रहे थे। पिछले आठ सालों से राजा भैया हर मुश्किल समय में बीजेपी के साथ खड़े रहे। अब उन्होंने आगे ऐसा न करने की घोषणा कर दी है। प्रतापगढ़ में अपने घर पर उन्होंने अपनी पार्टी के नेताओं की बैठक बुलाई। जिसके बाद तय हुआ कि उनके समर्थक जैसा चाहे, वैसा करें। इस बार के लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी जनसत्ता दल ने उम्मीदवार नहीं खड़ा किया है। पिछले हफ्ते केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद कहा जा रहा था कि राजा भैया अब बीजेपी के साथ रहेंगे, लेकिन उन्होंने ऐन वक्त पर झटका दे दिया है। राजा भैया के इस ऐलान ने बीजेपी को मायूस कर दिया है। राजा भैया के ना से बीजेपी को कौशांबी और प्रतापगढ़ की लोकसभा सीट पर कड़ी टक्कर मिलेगी। जबकि बीजेपी इस उम्मीद में थी कि अगर राजा भैया उनके साथ आ गए, तो इन दो सीटों पर उनकी राह आसान होने के साथ ही बीजेपी को लेकर ठाकुरों के बीच में जो नाराजगी है। वो भी कम हो जाएगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। कौशांबी ऐसी लोकसभा सीट है जहां चुनाव में राजा भैया फैक्टर काम करता है। कौशांबी के पश्चिम में फतेहपुर, उत्तर में प्रतापगढ़, दक्षिण में चित्रकूट आता है।

धनंजय सिंह का साथ बीजेपी को दे पाएगा राहत?
धनंजय सिंह के ऐलान के बाद केवल जौनपुर में ही नहीं बल्कि पूर्वांचल की कई सीटों पर सियासी समीकरण बदल जाएंगे। पूर्व सांसद के खुलेतौर पर साथ आ जाने से जौनपुर में बीजेपी उम्मीदवार कृपाशंकर सिंह की राह अब और आसान होने वाली है। इसके साथ-साथ पूर्वांचल की कई सीटों पर भी बीजेपी डैमेज कंट्रोल करने में सफल रह सकती है। जौनपुर की राजनीति में धनंजय सिंह पुराने खिलाड़ी हैं। जौनपुर में 2 लाख से ज्यादा ठाकुर वोटर हैं। धनंजय खुद भी ठाकुर हैं और अपने समाज में उनकी अच्छी खासी पैठ भी रखते हैं। ऐसे में धनंजय का ऐलान बीजेपी के लिए राहत देने वाला हो सकता है। धनंजय सिंह का रिश्ता वाराणसी में बृजेश सिंह से लेकर मिर्जापुर में विनीत सिंह और कुंडा में रघुराज प्रताप सिंह जैसे ठाकुर बाहुबलियों के साथ रहा है। पूर्वांचल में इन ठाकुर बाहुबली की तूती बोलती है। खासकर ठाकुर वोटरों में इन बाहुबलियों को अच्छी पकड़ रही है। जौनपुर सीट से लेकर प्रतापगढ़, गाजीपुर, बलिया, अयोध्या, भदोही, चंदौली, मछलीशहर, घोसी, सोनभद्र और वाराणसी जैसी सीटों पर ठाकुर मतदाता ठीक-ठाक हैं। देखा जाए तो धनंजय सिंह का पार्टी के साथ खड़े होना राहत भरा है।

जौनपुर का जातीय समीकरण
बात करें जौनपुर लोकसभा सीट के जातीय समीकरण की तो इस सीट पर करीब 29.5 लाख मतदाता हैं। इनमें 15.72 फीसदी के आसपास ब्राह्मण हैं। दूसरे नंबर पर ठाकुर वोटर आते हैं। जौनपुर सीट पर करीब 13.30 फीसदी राजपूत हैं। मुस्लिम करीब 2.20 लाख, यादव करीब 2.25 लाख और करीब 2.30 लाख के आसपास दलित मतदाता है। जौनपुर में अब तक हुए 17 चुनावों में से 11 बार राजपूत उम्मीदवारों को जीत मिली है। वहीं, दो बार ब्राह्मण और चार बार यादव कैंडिडेट भी जीते हैं। मौजूदा उम्मीदवार कृपाशंकर सिंह भी ठाकुर हैं। ऐसे में धनंजय के दूर रहने से ठाकुर वोटरों में जो बिखराव का खतरा था जो कि अब टल गया है।

कौशांबी का जातीय समीकरण
कौशांबी लोकसभा सीट दलित बहुल सीट मानी जाती है। कौशांबी लोकसभा सीट के भीतर मंझनपुर, चायल और सिराथू विधानसभा सीटें हैं। इन तीन विधानसभा सीटों पर मंझनपुर और चायल में पासी वोटरों की संख्या अच्छी खासी है। सिराथू में सोनकर और जाटव के लोग ज्यादा संख्या में हैं। सीट पर पिछड़ी जातियों में पटेल, मौर्य, लोधी, पाल, यादव वोटरों की भी ठीक ठाक संख्या है। चायल में कुर्मी और पाल वोटर अधिक हैं। तीनों विधानसभा में सामान्य जातियों के वोटर भी ठीक ठाक संख्या में हैं। कौशांबी, नेवादा ब्लाक में ब्राह्मण वोटर भी हैं। इन सभी वोटरों में राजा भैया की अच्छी खासी पैठ मानी जाती है। यही हाल प्रतापगढ़ लोकसभा सीट पर भी है। प्रतापगढ़ में ठाकुर और ब्राह्मण वोटरों से भी राजा भैया के अच्छे संबंध माने जाते हैं। ऐसे में यूपी के दो बाहुबलियों के बाद सियासत का ऊंट किस करवट बैठता है ये देखने वाली बात होगी।

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