भारतीय हॉकी टीम की मजबूत ‘दीवार’ ने हॉकी को अलविदा कह दिया है. भारतीय हॉकी टीम के दिग्गज गोलकीपर पीआर श्रीजेश ने संन्यास का फैसला ले लिया है. पेरिस ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतने के साथ ही पीआर श्रीजेश ने हॉकी को अलविदा कह दिया। भारत ने ब्रॉन्ज मेडल मैच में स्पेन को 2-1 से हराया. जिसमें श्रीजेश ने एक बार फिर अहम योगदान दिया. ब्रॉन्ज मेडल जीतने के बाद भारतीय हॉकी खिलाड़ियों ने श्रीजेश के सम्मान में झुककर उन्हें सलाम किया.

पीआर श्रीजेश की शानदार गोलकीपिंग ने दिलाया मेडल
पीआर श्रीजेश की शानदार गोलकीपिंग की बदौलत भारतीय हॉकी टीम लगातार 2 ओलपिंक में 2 मेडल जीतने में कामयाब रही है. इससे पहले टोक्यो ओलंपिक में श्रीजेश के शानदार प्रदर्शन के दम पर भारत ने जर्मनी को हराकर ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम कर लिया था. तब भारतीय हॉकी टीम 1980 के बाद पहला ओलंपिक मेडल जीतने में सफल रही थी. साल 1972 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है जब भारतीय हॉकी टीम ओलंपिक में लगातार 2 ब्रॉन्ज मेडल जीतने में कामयाब रही है. इससे पहले 1968 और 1972 ओलंपिक में ऐसा हुआ था. हॉकी में ब्रॉन्ज मेडल आने के बाद अब भारत के नाम पेरिस ओंलपिक 2024 में 4 मेडल हो गए हैं. इससे पहले भारत को शूटिंग में 3 ब्रॉन्ज मिले थे.

भारत के लिए 4 ओलंपिक गेम्स में श्रीजेश ने लिया हिस्सा
केरल के एर्नाकुलम में जन्मे पीआर श्रीजेश ने 2006 साउथ एशियन गेम्स में भारत के लिए डेब्यू किया था और तब से ही वह भारतीय गोल पोस्ट की मजबूत दीवार बने हुए थे. श्रीजेश ने अपने पूरे करियर में 300 से ज्यादा इंटरनेशनल मैच खेले और 2 बार एशियन गेम्स का गोल्ड मेडल भारतीय टीम के साथ जीता. श्रीजेश ने भारत के लिए 4 ओलंपिक गेम्स लंदन 2012, रियो 2016, टोक्यो 2020 और पेरिस 2024 खेले हैं. जिसमें 2 बार ब्रॉन्ज अपने नाम किया है. लगातार 2 साल FIH बेस्ट गोलकीपर ऑफ द ईयर रहे श्रीजेश को 2021 में मेजर ध्यानचंद खेल रत्न अवॉर्ड से नवाजा गया था. इसके अलावा 3 बार वह भारत के बेस्ट गोलकीपर ऑफ द ईयर का अवॉर्ड जीतने में कामयाब रहे. पद्मश्री और अर्जुन अवॉर्डी श्रीजेश के संन्यास के बाद भारतीय हॉकी टीम को एक शानदार गोलकीपर की कमी कई सालों तक खलेगी. क्योंकि इस दिग्गज गोलकीपर के स्तर तक पहुंचना. किसी भी अन्य खिलाड़ी के लिए काफी मुश्किल होने वाला है.

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