दीपावली में बस कुछ ही दिन बचे हैं। जिसका मां लक्ष्मी के भक्त बड़ी बेसब्री के साथ इंतजार करते हैं। वैसे तो माता लक्ष्मी की मुख्य पूजा दीवाली की रात की जाती है। लेकिन दीपावली एक पंच दिवसीय त्यौहार है। दीपोत्सव पर्व की शुरुआत धनतेरस या फिर धनत्रयोदशी से हो जाती है। सनातन धर्म में जिस प्रकार दिवाली को लेकर आमजन उत्साहित रहते हैं,  उसी प्रकार लोग धनतेरस को लेकर भी उत्साहित रहते हैं।

धनतेरस, जिसे “धन त्रयोदशी” भी कहा जाता है, दीपावली के पर्व का पहला दिन होता है। यह त्योहार कार्तिक मास की त्रयोदशी को मनाया जाता है और धन की देवी लक्ष्मी के स्वागत के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। इस दिन लोग सोने, चांदी और बर्तन खरीदने का प्रचलन रखते हैं, जिससे समृद्धि और सुख-समृद्धि की कामना की जाती है। धनतेरस सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि यह समृद्धि, स्वास्थ्य और खुशी का प्रतीक है। इस दिन की गई पूजा और खरीदारी का विशेष महत्व है, जो हमारे जीवन में सकारात्मकता लाती है। इस त्योहार को धूमधाम से मनाने से हमें मानसिक और भौतिक समृद्धि की प्राप्ति होती है।

कब है धनतेरस
इस साल धनतेरस या धनत्रयोदशी का त्योहार 29 अक्टूबर को मनाया जाएगा। त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 29 अक्टूबर को सुबह 10:31 से होगी, जबकि समापन अगले दिन दोपहर 1बजकर 15 मिनट पर होगा। इस वर्ष धनतेरस के दिन सोना-चांदी खरीदने के लिए पर्याप्त समय है. माना जाता है कि प्रदोष काल या रात में माता लक्ष्मी, कुबेर और धन्वंतरि की पूजा करने वालों को आरोग्य, धन और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

पौराणिक महत्व 
हिन्दू मान्यता के अनुसार, धन्वंतरि देव भगवान विष्णु के अवतार हैं। देवी लक्ष्मी सागर मंथन के दौरान धन के देवता भगवान कुबेर के साथ समुद्र से निकली थीं। यह पवित्र त्रयोदशी उनकी पूजा के लिए समर्पित है। जब देवताओं और असुरों ने समुद्र मंथन किया था तब सबसे अंत में भगवान धन्वंतरि अपने साथ अमृत लेकर प्रकट हुए थे।

धनतेरस का महत्व

  1. धन की देवी लक्ष्मी: इस दिन देवी लक्ष्मी का पूजन किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान धन्वंतरि ने अमृत कलश के साथ प्रकट होकर स्वास्थ्य और धन का उपहार दिया था।
  2. नया सामान खरीदने की परंपरा: इस दिन लोग नए बर्तन, सोने और चांदी की वस्तुएं खरीदते हैं। इसे शुभ माना जाता है और यह धन में वृद्धि का प्रतीक है।
  3. स्वास्थ्य का ध्यान: धनतेरस को स्वास्थ्य के देवता भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है। यह दिन स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना के लिए भी महत्वपूर्ण है।

पूजा विधि

  • गृह प्रवेश: इस दिन घर में नई वस्तुओं का प्रवेश कराना शुभ माना जाता है।
  • दीप जलाना: शाम के समय दीप जलाने का विशेष महत्व है, जिससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  • हवन और पूजा: देवी लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि की पूजा के साथ हवन का आयोजन भी किया जाता है।

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