एक बार फिर केंद्र में मोदी जी की सत्ता का आगाज होने वाला है। मगर इस बार की सत्ता में वो बात नहीं है जो 2014 और 2019 में थी दरअसल तब बीजेपी को पूर्ण बहुमत मिला था। साथ ही बीजेपी को स्वतंत्र होकर निर्णय लेना का अधिकार भी था। वहीं इस बार बीजेपी के पास बहुमत नहीं है साथ ही उसे नीतीश कुमार की पार्टी JDU और टीडीपी पर निर्भर रहना होगा। बीजेपी इन दोनों पार्टियों के दम पर सरकार तो बना रही है, लेकिन उसके सामने कई चुनौतियां होंगी। जिसकी शुरुआत सरकार के गठन से पहले ही हो चुकी है। जेडीयू ने अपनी शर्तों को रखना शुरू भी कर दिया है। सरकार चलाने के लिए बीजेपी को इनकी शर्तों को मानना भी होगा।
जेडीयू की शर्तों ने सरकार की बढ़ाई टेंशन
जेडीयू ने अपनी शर्तों में विशेष राज्य का दर्जा, अग्निवीर योजना जैसे मुद्दों पर सरकार की टेंशन बढ़ा दी है। जेडीयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने कहा है कि अग्निवीर योजना को लेकर लोगों में गुस्सा है। जनता ने जो असहमति दिखाई है, उसपर विचार होना चाहिए। उन्होंने ये भी कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्ज मिलना चाहिए। अग्निवीर वही योजना है जो पूरे चुनाव में मोदी सरकार के लिए मुसीबत बना रहा। इंडिया गठबंधन के नेताओं ने चुनावी रैलियों में इसपर मोदी सरकार को घेरा और कहा कि उनकी सरकार बनने पर इस योजना को खत्म कर दिया जाएगा। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने तो बाकायदा इसका ऐलान भी किया था।
विशेष दर्जे की मांग नई सरकार के लिए बड़ी चुनौती
बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देना भी नई सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती होगी। बिहार द्वारा विशेष राज्य के दर्जे की मांग नई नहीं है। इसे 2005 में नीतीश कुमार ने तब उठाया था जब उन्होंने पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। उन्होंने यह मांग पिछले साल नवंबर में भी उठाई थी। अभी तक 11 राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा दिया जा चुका है। इसमें असम, मेघालय, नगालैंड, मणिपुर, हिमाचल प्रदेश और तेलंगाना शामिल हैं। जेडीयू सांसद आलोक कुमार ने कहा कि ये हमारी हमेशा से ही मांग रही है। हम ये कायम रखेंगे, तभी बिहार का विकास संभव है। हालांकि, 14वें वित्त आयोग ने राज्यों से विशेष श्रेणी की स्थिति की अवधारणा को हटा दिया था। विशेषज्ञों की मानें तो स्पेशल स्टेटस की स्थिति की परिभाषा को बदलना नहीं पड़ेगा, क्योंकि कोई योजना आयोग नहीं है जो इसपर फैसला ले सके।
केंद्र में हिस्सेदारी भी मांग सकती है जेडीयू
जेडीयू इन मांगों के अलावा केंद्र में अपनी हिस्सेदारी को लेकर भी जेडीयू बीजेपी की टेंशन बढ़ा सकती है। सूत्रों के मुताबिक, जेडीयू कोटे से तीन केंद्रीय मंत्री बन सकते हैं। इसमें ललन सिंह, दिलेश्वर कामत और सुनील कुशवाहा का नाम हो सकता है। नीतीश ने अपने पार्टी के सहयोगियों से इसपर चर्चा भी की है। ललन सिंह सवर्ण, दिलेश्वर कामत दलित और सुनील कुमार कुशवाहा जाति से आते हैं।