लोकसभा चुनावों को लेकर तैयारियां जोरों पर हैं। पार्टियों ने गहन मंथन और विचार के बाद उम्मीदवार भी घोषित कर दिए हैं। जो कि अपनी-अपनी पार्टी को जीत दिलाने के लिए इस युद्ध में उतर भी पड़े हैं। वहीं अगर हम सपा की बात करें तो ऐसा लगता है कि लोकसभा चुनाव की सबसे अहम गौतमबुद्ध नगर सीट को लेकर पार्टी में अभी भी संशय बना हुआ है। राजनीतिक जानकारों की मानें तो ये कहना गलत नहीं होगा कि सपा प्रत्याशी राहुल अवाना का टिकट गौतमबुद्ध नगर सीट से कट सकता है। जिसकी वजह साफ है कि प्रत्याशी के पहले चुनावी अभियान की शुरूआत में डीएनडी टोल प्लाजा पर एक भी पार्टी का कद्दावर नेता नजर नहीं आया। तो इसे पार्टी की बेरुखी कहा जाए, गुटबाजी कहा जाए या फिर ये माना जाए कि सपा एक बार फिर अपनी लिस्ट संशोधित कर सकती है।
क्या राहुल को नहीं मिलेगा पार्टी का साथ
कहते हैं सत्ता की गद्दी पर वो ही बैठता है। जिसके साथ जनता और पार्टी दोनों का साथ हो, लेकिन सपा प्रत्याशी राहुल अवाना को देखकर ऐसा लगता है कि उनके पास जनता का साथ तो है, मगर शायद पार्टी के वरिष्ठ और कद्दावर नेताओं की आंखों में तिनके की तरह चुभ रहे हैं। जिसका कारण हैं कि सपा प्रत्याशी राहुल अवाना के पहले चुनावी अभियान में कोई भी बड़ा नेता मौजूद नहीं था, या प्रत्याशी बनने की खुशी में राहुल अवाना फूले नहीं समाए और जल्दबाजी में प्रत्याशी बनने के अगले ही दिन इसका जलसा शुरू कर दिया। ऐसे में अगर राहुल का टिकट कट जाए तो कोई बड़ी बात नहीं है, मगर टिकट कटने के बाद क्या दूसरी पार्टियां इस बात को अपने चुनावी प्रचार में नहीं उठाएंगी कि पार्टी में गुटबाजी हो रही है। बार-बार एक ही सीट से प्रत्याशी बदला जा रहा है।
क्या डूब जाएगी राहुल की भी नैया
आपको बता दें कि पार्टी ने पहले डॉक्टर महेंद्र नागर को 16 मार्च को गौतमबुद्ध नगर सीट से प्रत्याशी घोषित किया। इसके तीन दिन बाद ही पार्टी ने अपना फैसला बदल कर नागर की जगह युवा नेता राहुल अवाना को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया। वहीं अब जब इस युवा को पार्टी के सभी कद्दावर नेताओं का पूरा-पूरा सहयोग मिलना चाहिए था तो वो कोई भी नहीं था। अपने प्रत्याशी के पहले चुनावी कार्यक्रम में नोएडा के समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष आश्रय गुप्ता, नोएडा सपा के महासचिव विकास यादव, पार्टी के पुराने नेता और नोएडा सपा के पूर्व अध्यक्ष बीर सिंह यादव यहां तक कि नोएडा में सपा के टिकट पर दो बार चुनाव लड़े सुनील चौधरी भी इस कार्यक्रम से नदारद रहे।
क्या इस बार गौतमबुद्ध नगर से हारेगी सपा
देखा जाए तो इससे साफ दिखाई दे रहा है कि पार्टी किसी गुटबाजी का शिकार है। अब देखना होगा कि पार्टी की अपने ही प्रत्याशी से इतनी बेरुखी उसे अर्श पर ले जाती है या फिर फर्श पर लाकर पटक देती है। वहीं अगर एक बार फिर गौतमबुद्ध नगर सीट से प्रत्याशी बदला गया तो प्रत्याशी की तो हंसी उड़ेगी ही साथ ही पार्टी की अनबन और गुटबाजी भी सरे बाजार आ जाएगी। जिससे पार्टी की भी हंसी उड़ेगी। इन सब बातों के बाद एक और बड़ा सवाल ये खड़ा हो जाएगा कि जिस पार्टी को अपने ही प्रत्याशी पर भरोसा नहीं है, जनता भला उस पर कैसे भरोसा करेगी।