आपने भी चौराहों या मंदिरों के बाहर छोटे-छोटे बच्चों, महिलाओं, गोद में बच्चे लिए हुए महिलाओं को भीख मांगते देखते होंगे. कभी आपने भी तरस खाकर इन मासूमों और बेबस महिलाओं को भीख दे देते हैं. इसके बाद हम जो बताने जा रहे हैं उसे सुनकर आपके भी होश उड़ जाएंगें. वहीं भिखारियों पर किए गए एक सर्वे में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं.

महिला भिखारियों ने पुरुषों को छोड़ा पीछे
दरअसल चौराहों पर भिखारियों को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने का काम चल रहा है. इसके लिए इन भिखारियों से फॉर्म भरवाए जा रहे हैं. इस काम के लिए कई टीमें लगाई गई हैं. इसी कागजी कार्रवाई के दौरान कई चौंकाने वाले खुलासे सामने आए हैं. सर्वे में ये भी सामने आया कि भीख मांगने वाली महिलाओं ने पुरुषों तक को पीछे छोड़ दिया है. गोद में छोटा बच्चा लेकर भीख मांगने वाली और गर्भवती महिलाएं रोज करीब तीन हजार रुपये की कमाई कर रही हैं. इस तरह छोटे बच्चे से लेकर उम्र दराज भिखारी की कमाई भी हजार तक है. वहीं भिखारियों की कमाई का आंकड़ा देख कर सर्वे करने वाले विभाग के अधिकारी भी अचंभे में है. इतना ही नहीं सर्वे के दौरान कई भिखारियों के पास स्मार्टफोन भी मिला है.

रोजाना 63 लाख रुपये भीख पर खर्च कर रहे लखनऊवासी
सर्वे के अनुसार लखनऊ में कई ऐसे भिखारी भी है जो रोजाना 3 हजार रुपए की कमाई कर रहे हैं. इस तरह जिन भिखारियों को लोग बेबस और बेसहारा समझकर भीख देते हैं. वो कमाई के मामले में किसी भी नौकरीपेशा अधिकारी से कम नहीं है. लखनऊ के लोग रोजाना करीब 63 लाख रुपये की भीख इन भिखारियों को दे देते हैं. इसके अलावा चारबाग के भिखारी सबसे ज्यादा कमाई कर रहे हैं. यहां एक भिखारी ने साफ कह दिया कि उसे सरकारी योजना का लाभ नहीं चाहिए, बल्कि उसे भीख मांगने की अनुमति दे दी जाए. सर्वे में सामने आया कि अधिकतर भिखारी हरदोई, बाराबंकी, सीतापुर और रायबरेली के रहने वाले हैं.

5312 भिखारी लखनऊ में मिले
राजधानी लखनऊ में बड़ी संख्या में लोग भीख मांगने का काम कर रहे हैं. लखनऊ के करीब-करीब हर बड़े-छोटे चौराहे पर बच्चे, पुरूष और महिलाएं भीख मांगते नजर आ जाते हैं. इसी क्रम में समाज कल्याण विभाग, डूडा और नगर निगम के सर्वे में लखनऊ में 5312 भिखारी मिले हैं.

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