Mau: 39 साल पुराना मामला, सपा विधायक सुधाकर सिंह पर फिर लटका गिरफ्तारी का साया

- Rishabh Chhabra
- 03 Jul, 2025
समाजवादी पार्टी के विधायक सुधाकर सिंह एक बार फिर से फरार घोषित कर दिए गए हैं। मऊ की एमपी-एमएलए कोर्ट ने 39 साल पुराने मामले में उन्हें कोई राहत नहीं दी है। यह वही मामला है, जिसमें उन्हें पहले भी 25 जुलाई 2023 को फरार घोषित किया गया था। खास बात ये है कि सुधाकर सिंह पर फरार होने के बावजूद क्षेत्र में सक्रिय रहने की चर्चा है। आइए जानते हैं आखिर पूरा मामला क्या है और कौन हैं सुधाकर सिंह।
किस मामले में फरार हुए सुधाकर सिंह?
साल 1986 में मऊ के घोसी क्षेत्र में बिजली कटौती को लेकर लोगों ने प्रदर्शन किया था। प्रदर्शन के दौरान 400 केवी के विद्युत उपकेंद्र पर हंगामा हुआ। प्रदर्शन के बीच सरकारी काम में बाधा और तोड़फोड़ का आरोप लगा। इस मामले में दोहारीघाट पुलिस ने सुधाकर सिंह समेत कुछ लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। उस वक्त मऊ जिला नहीं बना था, इसलिए यह मामला आजमगढ़ के जनपद न्यायालय में विचाराधीन रहा। बाद में मऊ के जिले के रूप में गठन के बाद यह केस वहीं स्थानांतरित कर दिया गया।
2023 में भी फरार घोषित हुए थे सुधाकर सिंह
कोर्ट ने पहले भी 25 जुलाई 2023 को सुधाकर सिंह को फरार घोषित किया था। इसके बाद 4 जून 2024 को विधायक ने जिला जज के सामने निगरानी याचिका दायर की, ताकि उन्हें राहत मिल सके। लेकिन अब यह केस एमपी-एमएलए कोर्ट में भेजा गया क्योंकि सुधाकर सिंह वर्तमान में विधायक हैं। अब कोर्ट ने एक बार फिर उन्हें फरार घोषित किया है। इस मामले में अगली सुनवाई 10 जुलाई 2025 को होगी।
क्या है विवाद की असल वजह?
अब सवाल उठ रहा है कि एक विधायक होने के बावजूद सुधाकर सिंह को फरार क्यों माना गया? दरअसल, लंबे समय से वह कोर्ट में पेश नहीं हुए थे और मामला विचाराधीन होने के बावजूद वे अनुपस्थित रहे। कोर्ट ने इसे गंभीरता से लिया और उन्हें फरार घोषित कर दिया।
कौन हैं सुधाकर सिंह?
सुधाकर सिंह समाजवादी पार्टी के कद्दावर और पुराने नेता माने जाते हैं। वे पहली बार 1996 में नत्थूपुर विधानसभा सीट से विधायक बने थे। बाद में 2012 में सीट का नाम बदलकर घोसी कर दिया गया। साल 2023 में हुए घोसी उपचुनाव में सुधाकर सिंह ने भारतीय जनता पार्टी के नेता दारा सिंह चौहान को हराकर जीत हासिल की। उनकी इस जीत को विपक्ष की बड़ी सफलता माना गया था।
सुधाकर सिंह का मामला अब राजनीतिक और कानूनी दोनों स्तरों पर गरमाता जा रहा है। एक ओर वह जनता के बीच सक्रिय हैं, वहीं दूसरी ओर अदालत उन्हें फरार बता रही है। 10 जुलाई की अगली सुनवाई इस बात को तय करेगी कि इस केस का भविष्य क्या होगा।
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