Delhi के दो बड़े प्रोजेक्ट्स पर फैसला तय, अटके थे पेड़ों में, अब भरेंगे फर्राटा

- Rishabh Chhabra
- 04 Jul, 2025
दिल्ली की सड़कों पर रोज़ लगने वाले ट्रैफिक जाम से परेशान लोगों के लिए राहत भरी खबर आई है। जिसके तहत राजधानी को जाम से छुटकारा दिलाने वाली दो अहम परियोजनाएं- बारापुला फेज-तीन एलिवेटेड कॉरिडोर और नंद नगरी फ्लाईओवर अब अपने आखिरी चरण में पहुंच चुकी हैं। दोनों ही प्रोजेक्ट्स का ज्यादातर निर्माण कार्य पूरा हो चुका है, लेकिन अब बस कुछ पेड़ों की बाधा हटनी बाकी है।
पेड़ों की वजह से अटके हुए थे काम
दिल्ली जैसे घनी आबादी और हरियाली वाले शहर में विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाना जरूरी होता है। दोनों परियोजनाओं के रास्ते में कुल 300 से ज्यादा पेड़ आ रहे थे। इस वजह से निर्माण कार्य कई महीनों से अधर में लटका हुआ था। अब केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (CEC) ने सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है कि इन पेड़ों को हटाया या प्रतिरोपित किया जा सकता है। पेड़ों से जुड़े सभी मामलों की अंतिम जांच वृक्ष अधिकारी द्वारा की जा रही है, जो कि जल्द फैसला लेंगे।
कब तक बनकर तैयार होंगे ये प्रोजेक्ट?
बारापुला फेज-3 कॉरिडोर का लगभग 90% काम पूरा हो चुका है। यह मयूर विहार फेज-1 से सराय काले खां और एम्स (दक्षिणी दिल्ली) तक सीधे कनेक्ट करेगा। बचे हुए 690 मीटर हिस्से में पेड़ और जमीन अधिग्रहण की दिक्कतें थीं, जिसमें अब पेड़ों का मामला ही बाकी है। इस परियोजना को दिसंबर 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य है। जबकि दूसरी ओर, नंद नगरी फ्लाईओवर का करीब 70% काम पूरा हो चुका है। यह मंडोली जेल परिसर से गगन सिनेमा तक बनेगा और मंगल पांडे मार्ग को सिग्नल-फ्री बनाएगा। यहां 27 पेड़ रास्ते में बाधा बने हैं। लेकिन अब इस प्रोजेक्ट को विशेष क्षेत्र की छूट मिल चुकी है, जिससे जल्द कटाई या प्रतिरोपण की प्रक्रिया पूरी हो सकेगी।
क्यों है ये प्रोजेक्ट इतना जरूरी?
दिल्ली की सबसे बड़ी समस्या जाम और ट्रैफिक का दबाव है। बारापुला कॉरिडोर से पूर्वी दिल्ली से दक्षिणी दिल्ली तक का सफर बिना सिग्नल और बिना रुकावट के पूरा किया जा सकेगा। इससे रोजाना घंटों जाम में फंसे रहने वाले लोगों को बड़ी राहत मिलेगी। वहीं, नंद नगरी फ्लाईओवर न सिर्फ नॉर्थ ईस्ट दिल्ली को तेज़ी से जोड़ेगा, बल्कि स्थानीय लोगों को बेहतर कनेक्टिविटी देगा।
जनता को जल्द मिलेगा फायदा
बारापुला प्रोजेक्ट 2015 में शुरू हुआ था, और इसे 2017 तक पूरा करना था। लेकिन पर्यावरण मंजूरी और जमीन अधिग्रहण जैसे मुद्दों के कारण लगातार देरी होती रही। अब जब सारे कागज़ी काम पूरे हो गए हैं, तो उम्मीद है कि जनता को जल्द ही इसका फायदा मिलेगा।
दिल्ली जैसे महानगर में हर मिनट कीमती होता है। ये फ्लाईओवर और कॉरिडोर न सिर्फ समय बचाएंगे, बल्कि ईंधन की बचत और प्रदूषण में कमी लाने में भी मदद करेंगे। जनता को अब बस कुछ हफ्तों का इंतज़ार और करना है, फिर राजधानी में ट्रैफिक से जुड़ा एक बड़ा सिरदर्द कम हो जाएगा।
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