Pryagraj: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि लोकसभा चुनाव से पहले लाइसेंस धारकों द्वारा असलहे जमा कराने का सामान्य आदेश नहीं दिया जा सकता। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने वर्ष 2022 के अपने एक आदेश को दोहराते हुए कहा है कि जनरल ऑर्डर पारित करके लाइसेंसी शस्त्रधारकों के शस्त्र नहीं जमा करवाए जा सकते। कोर्ट ने कहा कि यदि शस्त्र जमा करवाने का कोई औचित्यपूर्ण कारण है तो सम्बंधित शस्त्रधारक के लिए आदेश पारित करते हुए, इसे जमा कराया जा सकता है। कोर्ट ने चेतावनी दी कि यदि आगे से जनरल ऑर्डर के आधार पर शस्त्र जमा कराने का कोई मामला उसके समक्ष आया तो सम्बंधित अधिकारियों पर हर्जाना लगाया जाएगा।

2022 में दिए गए आदेश को कोर्ट ने दोहराया

यह आदेश न्यायमूर्ति अब्दुल मोईन की एकल पीठ ने अमेठी निवासी रविशंकर तिवारी व चार अन्य की ओर से दाखिल रिट याचिका पर पारित किया। याचियों का कहना था कि बिना किसी ठोस वजह के उन पर उनके लाइसेंसी शस्त्र जमा कराने का दबाव स्थानीय प्रशासन द्वारा डाला जा रहा है। सुनवाई के बाद आदेश में न्यायालय ने कहा कि 25 फरवरी 2022 को राम रंग जायसवाल मामले में स्पष्ट आदेश दिया गया था कि अधिकारी जनरल ऑर्डर निकाल कर लाइसेंसी शस्त्र जमा करने को नहीं कह सकते।

कोर्ट ने दोबारा मामला आने पर जुर्माना लगाने की दी चेतावनी


कोर्ट ने कहा कि इसके पूर्व वर्ष 2002 में सर्वोच्च न्यायालय भी यही आदेश दे चुका है और यही नहीं वर्ष 2000 में शहाबुद्दीन मामले में और वर्ष 2021 में अरुण कुमार सिंह मामले में हाईकोर्ट इस प्रकार के आदेश जारी कर चुका है। न्यायालय ने नाराजगी जताते हुए कहा कि प्रदेश की सबसे बड़ी अदालत के आदेश को अनदेखा किया जा रहा है व उसका पालन नहीं हो रहा। इन टिप्पणियों के साथ न्यायालय ने चेतावनी दी कि यदि ऐसा मामला दोबारा उसके समक्ष आया तो सम्बंधित अधिकारी पर हर्जाना लगाया जाएगा।

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