उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब समेत कई राज्यों के किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानून बनाने की मांग कर दिल्ली की तरफ कूच कर रहे किसानों का आंदोलन उग्र हो गया है। किसानों के ‘दिल्ली चलो’ आंदोलन में 150 से ज्यादा संगठन शामिल हैं।वहीं कुछ किसान समूह यूनिवर्सल एमएसपी के लिए एक कानून की भी मांग कर रहे हैं। यानी किसान खेती की जाने वाली प्रत्येक फसल के लिए केंद्र में सरकार द्वारा एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) तय होना चाहिए। MSP क्या है और क्यों किसान इसको लेकर अडे हुए है, आइये आज हम आपको इसके बारे में विस्तार से बतायेंगे

क्या है MSP ?

दरअसल MSP यानी मिनिमम सपोर्ट प्राइस (Minimum Support Price) या न्यूनतम समर्थन मूल्य वह दर है जिस पर सरकार किसानों से फसल खरीदती है. जो कि किसानों की उत्पादन लागत से कम से कम डेढ़ गुना अधिक होती है। केंद्र सरकार फसलों की एक न्यूनतम कीमत तय करती है. जिससे किसान को अपनी फसल की एमएसपी (MSP) के तहत निर्धारित कीमत मिलती ही मिलती है, चाहे बाजार में दाम जो भी हो. इसको और सरल शब्दों में कहें तो मान लीजिये कि किसी फसल की MSP 20 रुपये तय की गई है, और बाजार में वो फसल 15 रुपये में बिक रही है तो भी सरकार, किसानों से उस फसल कों 20 रुपये में ही खरीदेगी.

किन-किन फसलों पर मिलती है MSP

केंद्र सरकार ने साल 1966-67 में पहली बार MSP पेश किया था। ऐसा तब हुआ जब स्वतंत्रता के समय भारत को अनाज उत्पादन में बड़े घाटे का सामना करना पड़ा। तब से लगातार एमएसपी की व्यवस्था चल रही है। 60 के दशक में सरकार ने सबसे पहले गेहूं पर एमएसपी की शुरुआत की ताकि किसानों से गेहूं खरीद कर अपनी पीडीएस योजना या राशन के तहत गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों में बांट सके। केंद्र सरकार हर फसल पर एमएसपी नहीं देती। वर्तमान में कुल 23 फसलों पर सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य देती है। इन फसलों को ‘अधिदिष्ट फसल’ की कैटेगरी में रखा गया है. इनमें 14 खरीफ फसलें, 6 रबी फसलें और दो अन्य वाणिज्यिक फसलें शामिल हैं. इन फसलों के अलावा गन्ने के लिये ‘उचित और लाभकारी मूल्य’ (FRP) की सिफारिश भी की जाती है.

MSP  आने पर हर साल होगा 10 लाख करोड़ का खर्चा

अगर एमएसपी गारंटी कानून लाया जाता है, तो सरकार की नजर अतिरिक्त व्यय पर भी होगी जो सालाना यानी कम से कम 10 लाख करोड़ होगा। इसे दूसरी तरह से देखा जाए तो यह लगभग उस व्यय (11.11 लाख करोड़ रुपये) के बराबर है जो इस सरकार ने हाल के अंतरिम बजट में बुनियादी ढांचे के लिए अलग रखा है. स्पष्ट रूप से देखा जाये तो MSP गारंटी कानून हमारी तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था को पटरी से उतार कर रख देगा, जिसका नुकसान काफी हद तक आम जनता को झेलना पड़ेगा

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