यूपी के रायबरेली सांसद राहुल गांधी पहली बार किसी संवैधनिक पद रहेंगे। अपने माता-पिता के बाद गांधी परिवार के तीसरे सदस्य राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष बने हैं। राहुल ने 21 साल बाद अपनी मां के नक्शे कदम पर चल पड़े हैं। रायबरेली सांसद रहते हुए सोनिया गांधी ने 1999 से 2004 तक पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी के कार्यकाल में नेता प्रतिपक्ष थीं। जबकि राहुल गांधी के पिता राजीव गांधी तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह की सरकार के समय नेता प्रतिपक्ष बने थे। राजीव गांधी 1989 से लेकर 1990 तक नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभाई थी। राजीव गांधी भी यूपी के अमेठी से सांसद रहते हुए यह जिम्मेदारी निभाई थी।

दो कार्यकाल के बाद नेता प्रतिपक्ष बने राहुल
बता दें कि एक दशक बाद लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस की स्थिति मजबूत हुई है. इस बार राहुल गांधी की मेहनत रंग लाई और इंडिया गठबंधन ने 234 सीटें जीतने में सफल रही. जबकि 136,759,064 वोट पाकर कांग्रेस को 99 सीटों पर जीत मिली है. ऐसे में 10 साल बाद राहुल गांधी को लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष बने हैं। गौरतलब है कि 2014 और 2019 में किसी दल के पास 10 फीसदी यानी 55 सांसद नहीं थे। जिसकी वजह से औपचारिक रूप से कोई नेता प्रतिपक्ष नहीं था। अनौपचारिक रूप से 2014 में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिका अर्जुन खरगे और 2019 में अधीर रंजन चौधरी को लोकसभा का नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई थी.

कैसे होता है नेता प्रतिपक्ष का चुनाव और कितनी मिलती है सैलरी
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष बनने के लिए किसी दल के पास कम से कम 10% (55 सांसद) होना जरूरी होता है. जो इस बार कांग्रेस के पास है. जबकि 2014 में कांग्रेस के 44 और 2019 में 52 सांसद थे. जिसकी वजह से दोनों बार लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष मजबूत नहीं रहा। नेता प्रतिपक्ष का पद कैबिनेट मंत्री के बराबर होता है. नेता प्रतिपक्ष को केंद्रीय मंत्री के बराबर वेतन, भत्ते और अन्य सुविधाएं मिलती हैं. नेता प्रतिपक्ष की 3,30,000 रुपये हर महीने वेतन मिलता है, जो सांसद की सैलरी से अतिरिक्त होता है। इसके साथ ही साथ ही कैबिनेट मंत्री स्तर के आवास, ड्राइवर, कार और स्टाफ की भी सुविधा दी जाती है।

नेता प्रतिपक्ष के पास ये होती हैं शक्तियां
नेता प्रतिपक्ष की संवैधानिक पदों पर होने वाली नियुक्तियों में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। सतर्कता आयुक्त (CVC), सूचना आयुक्त, और लोकपाल, प्रवर्तन निदेशालय (ED) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) जैसी केंद्रीय एजेंसियों के प्रमुखों की नियुक्ति में नेता प्रतिपक्ष से राय ली जाती है. चयन समितियों में नेता प्रतिपक्ष की उपस्थिति सरकार द्वारा लिए गए निर्णयों में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करती है।

अब तक लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष
सबसे पहले नेता प्रतिपक्ष राम सुभाग सिंह 1969 में चुने गए थे. यशवंत राव चव्हाण 1977 और 1979, सीए.एम. स्टीफन 1978, जगजीन राम 1979, राजीव गांधी 1989, लालकृष्ण आडवाणी 1990-91 और 2004, अटल बिहारी वाजपेयी 1993 और 1996, पीवी नरसिम्हा राव 1996, शरद पवार 1998, सोनिया गांधी 1999, सुष्मा स्वाराज 2009 में नेता प्रतिपक्ष चुनी गईं थीं. जबकि 6 बार कोई भी औपचारिक रूप से नेता प्रतिपक्ष नहीं चुना गया था।

Share.
Leave A Reply

Exit mobile version