Holika Dahan 2025: ऋषि के श्राप के कारण देवी होलिका बनी राक्षसी, जानें क्यों जलाई गई होलिका? यहां पढ़ें पूरी कहानी

- Rishabh Chhabra
- 11 Mar, 2025
होली का पर्व हिंदू धर्म में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन किया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। इस साल 2025 में होलिका दहन 13 मार्च को होगा, और होली का रंगों भरा त्योहार 14 मार्च को मनाया जाएगा।
कौन थी होलिका?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, होलिका दैत्यराज हिरण्यकश्यप की बहन थी। उसे ब्रह्मा जी से यह वरदान प्राप्त था कि अग्नि उसे नहीं जला सकती। हिरण्यकश्यप अपने पुत्र प्रहलाद की भगवान विष्णु में अटूट आस्था से क्रोधित था और उसे मारने के कई प्रयास कर चुका था। अंत में उसने अपनी बहन होलिका से प्रहलाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठने को कहा। लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रहलाद बच गए, जबकि वरदान प्राप्त होने के बावजूद होलिका जलकर भस्म हो गई।
देवी से राक्षसी बनने का कारण
होलिका का नाम सुनते ही एक राक्षसी छवि उभरती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि वह पहले एक देवी थी? पौराणिक कथाओं के अनुसार, अपने पूर्व जन्म में होलिका एक देवी थी, लेकिन एक ऋषि के श्राप के कारण वह राक्षस कुल में जन्म लेने को मजबूर हो गई। उसने अपने पूर्व जन्म में कोई ऐसा कर्म किया था, जिससे ऋषि क्रोधित हो गए और उसे राक्षसी योनि में जन्म लेने का श्राप दे दिया।
श्राप से मुक्ति का कारण बना अग्नि स्नान
श्राप के कारण होलिका को दैत्य कुल में जन्म लेना पड़ा और वह हिरण्यकश्यप की बहन बनी। हालांकि, जब वह प्रहलाद के साथ अग्नि में बैठी और जलकर भस्म हो गई, तो वह अपने श्राप से मुक्त हो गई। अग्नि में जलने के बाद उसकी आत्मा पवित्र हो गई और इसीलिए होलिका दहन के दिन उसकी पूजा की जाती है।
होलिका दहन का महत्व
होलिका दहन केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं है, बल्कि यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक भी है। यह पर्व हमें यह संदेश देता है कि अहंकार और अन्याय की हमेशा हार होती है, जबकि सच्चाई और भक्ति की विजय होती है। यही कारण है कि होली का त्योहार पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है, और होलिका दहन के जरिए बुराई का अंत किया जाता है।
Leave a Reply
Your email address will not be published. Required fields are marked *