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Holi Special: ईश्वर की भक्ति पर धर्म की दीवार नहीं: बांके बिहारी मंदिर प्रशासन का दो टूक जवाब

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बांके बिहारी मंदिर प्रशासन ने मंदिर में भगवान कृष्ण के लिए मुस्लिम बुनकरों द्वारा बनाई गई पोशाकों पर प्रतिबंध लगाने की मांग को सख्ती से खारिज कर दिया है. प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि ठाकुरजी की पोशाकों के चयन की प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा.

धार्मिक विवाद की शुरुआत

श्री कृष्ण जन्मभूमि संघर्ष न्यास के अध्यक्ष दिनेश फलाहारी ने मंगलवार को मंदिर प्रशासन को ज्ञापन सौंपकर मांग की थी कि भगवान की पोशाकें केवल हिंदू समुदाय के लोगों द्वारा बनाई जानी चाहिए. उन्होंने दावा किया कि जो लोग हिंदू देवी-देवताओं में आस्था नहीं रखते, उनके हाथों से बनी वस्तुएं ठाकुरजी को अर्पित नहीं की जानी चाहिए. उन्होंने इसे धार्मिक शुद्धता से जोड़ते हुए कहा कि यदि ऐसा किया जाता है तो यह परंपरा और आस्था के खिलाफ होगा.

मंदिर प्रशासन ने खारिज की मांग

मंदिर प्रशासन ने इस मांग को सिरे से नकारते हुए कहा कि उनकी प्राथमिकता ठाकुरजी को चढ़ाई जाने वाली पोशाकों की शुद्धता और पवित्रता सुनिश्चित करना है, न कि पोशाक बनाने वालों की धार्मिक पहचान. मंदिर के प्रमुख सदस्य ज्ञानेंद्र किशोर गोस्वामी ने कहा, "अगर मुस्लिम बुनकरों की ठाकुरजी में आस्था है, तो हमें उनसे पोशाकें लेने में कोई आपत्ति नहीं है. भगवान की सेवा में भक्ति सर्वोपरि है, न कि किसी की जाति या धर्म."

धार्मिक सौहार्द्र की मिसाल

मंदिर प्रशासन के इस फैसले को धार्मिक सौहार्द्र और भाईचारे की मिसाल माना जा रहा है. प्रशासन ने स्पष्ट किया कि भगवान कृष्ण की सेवा में किसी भी सच्चे भक्त की भागीदारी को धर्म के आधार पर नहीं रोका जाएगा.

मिश्रित प्रतिक्रियाएं

बांके बिहारी मंदिर प्रशासन के इस फैसले का कई संगठनों और भक्तों ने स्वागत किया है, जबकि कुछ कट्टरपंथी संगठनों ने इसे हिंदू परंपराओं के खिलाफ बताया है.

मंदिर प्रशासन का अंतिम फैसला

फिलहाल, मंदिर प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि ठाकुरजी के वस्त्रों के चयन में किसी भी तरह का भेदभाव नहीं किया जाएगा और जो भी भक्त श्रद्धा और भक्ति से सेवा करना चाहता है, उसका स्वागत किया जाएगा.

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