Holi Special: बुर्के में होली, हिजाब में गुलाल, काशी में दिखी सौहार्द्र की ऐसी मिसाल!
प्राचीन नगरी काशी में इस बार होली के रंगों में सौहार्द और एकता की खुशबू घुल गई
- Rishabh Chhabra
- 13 Mar, 2025
प्राचीन नगरी काशी में इस बार होली के रंगों में सौहार्द और एकता की खुशबू घुल गई. जहां रंगों का यह त्योहार सभी समुदायों को जोड़ने का कार्य करता है, वहीं मुस्लिम महिलाओं ने भी इस बार होली खेलकर आपसी प्रेम और सद्भाव का संदेश दिया. बुर्का और हिजाब पहने इन महिलाओं ने न सिर्फ फूलों और गुलाल से होली खेली, बल्कि ढोलक की थाप पर ‘होली खेले रघुवीरा अवध में’ जैसे पारंपरिक गीत भी गाए.
वाराणसी के लमही स्थित सुभाष भवन में मुस्लिम महिला फाउंडेशन और विशाल भारत संस्थान द्वारा होली का विशेष आयोजन किया गया. इस दौरान महिलाओं ने गुलाब की पंखुड़ियों, लाल-हरे गुलाल और गुलाब जल के मिश्रण से होली खेली. आयोजन में शामिल नाजनीन अंसारी, खुशीदा बनो और नगीना ने बताया कि होली हमारे पूर्वजों और भारतीय संस्कृति का त्योहार है. यदि इसे नहीं मनाएंगे तो जन्नत में जाकर अपने पूर्वजों को क्या जवाब देंगे?
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा वीडियो
मुस्लिम महिलाओं के इस अनोखे होली समारोह के वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे हैं. वीडियो में महिलाएं पूरे उल्लास के साथ एक-दूसरे को गुलाल लगाती और फूल उड़ाती नजर आ रही हैं. कुछ महिलाएं होली गीत गाती दिख रही हैं तो कुछ ढोलक की थाप पर थिरकती हुई नजर आ रही हैं.
मसान की होली से लेकर प्रेम के रंग तक
काशी में होली का अलग ही महत्व है. यहां की मणिकर्णिका घाट की मसान होली दुनियाभर में प्रसिद्ध है, जहां मृत्यु को महोत्सव की तरह मनाया जाता है. वहीं, मुस्लिम महिलाओं ने इस बार प्रेम और भाईचारे के रंग से त्योहार को और खास बना दिया.
एकता और प्रेम का संदेश
कार्यक्रम में शामिल मुस्लिम महिलाओं का कहना है कि होली सिर्फ एक समुदाय का नहीं, बल्कि पूरे देश का त्योहार है. यह प्रेम, भाईचारे और खुशी का पर्व है, जिसमें सभी को एक साथ शामिल होना चाहिए. उन्होंने कहा कि हम सब एक ही मिट्टी के बने हैं और त्योहारों को मिल-जुलकर मनाने से समाज में सौहार्द बना रहता है.
काशी में मनाई गई इस अनोखी होली ने न सिर्फ धार्मिक सौहार्द्र का संदेश दिया, बल्कि यह भी दिखाया कि भारतीय संस्कृति की जड़ें कितनी गहरी और मजबूत हैं.
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