UP में बीजेपी के नए सेनापति की तलाश, दिल्ली-लखनऊ के बीच समन्वय, कौन होगा मिशन-2027 का चेहरा?

- Rishabh Chhabra
- 19 Mar, 2025
उत्तर प्रदेश में 2027 के विधानसभा चुनावों को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने नए प्रदेश अध्यक्ष की तलाश शुरू कर दी है। पार्टी की प्राथमिकता ऐसा चेहरा ढूंढना है, जो न केवल जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों में फिट बैठे, बल्कि दिल्ली और लखनऊ के बीच बेहतर समन्वय भी बना सके। 2024 के लोकसभा चुनावों में यूपी में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद, बीजेपी अब पूरी रणनीति के साथ आगे बढ़ना चाहती है।
नए अध्यक्ष के लिए मंथन तेज
बीजेपी ने हाल ही में 70 से अधिक जिलों के अध्यक्षों की घोषणा कर दी है, जिससे अब प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव की राह भी साफ हो गई है। पार्टी के संविधान के अनुसार, जब 50% से अधिक जिला अध्यक्षों की नियुक्ति हो जाती है, तब प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव किया जा सकता है। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल को इस चुनाव की जिम्मेदारी सौंपी गई है, और माना जा रहा है कि वे जल्द ही लखनऊ आकर नए प्रदेश अध्यक्ष के नाम पर अंतिम मुहर लगाएंगे।
मिशन-2027 के लिए दमदार चेहरा
बीजेपी यूपी में जिसे भी प्रदेश अध्यक्ष बनाएगी, वही नेता 2027 के विधानसभा चुनावों में पार्टी का नेतृत्व करेगा। 2017 और 2022 में बीजेपी ने जबरदस्त जीत हासिल की थी, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में सीटों में आई गिरावट ने पार्टी की रणनीति पर फिर से विचार करने के लिए मजबूर कर दिया है। अब बीजेपी को ऐसा प्रदेश अध्यक्ष चाहिए, जो पार्टी को सत्ता की हैट्रिक दिलाने में अहम भूमिका निभा सके।
जातीय और क्षेत्रीय समीकरण का संतुलन
बीजेपी अब तक यूपी में ओबीसी प्रदेश अध्यक्षों के नेतृत्व में चुनाव लड़ती रही है। 2017 में केशव प्रसाद मौर्य और 2022 में स्वतंत्र देव सिंह ने प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए चुनावी जीत दिलाई थी। इस बार भी पार्टी ऐसे ही किसी नेता को तलाश रही है, जो पिछड़ा वर्ग के साथ-साथ दलित और सवर्ण मतदाताओं को जोड़ सके। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ठाकुर समुदाय से आते हैं और पूर्वांचल से हैं, ऐसे में नए अध्यक्ष के लिए पश्चिमी यूपी, बुंदेलखंड या अवध क्षेत्र से किसी ओबीसी या दलित नेता को मौका दिए जाने की संभावना है।
सरकार और संगठन में तालमेल जरूरी
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के लिए ऐसा नेता चाहती है, जो संगठन और सरकार के बीच संतुलन बनाए रखे। 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद संगठन और सरकार के बीच मतभेद की चर्चाएं तेज हो गई थीं। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने खुलकर कहा था कि संगठन सरकार से बड़ा होता है और कार्यकर्ताओं का सम्मान सबसे पहले होना चाहिए। इस तरह की चर्चाओं के बीच बीजेपी अब ऐसा नेता चाहती है, जो कार्यकर्ताओं को सक्रिय रखे, संगठन को मजबूत बनाए और सरकार के साथ भी तालमेल बिठा सके।
दिल्ली-लखनऊ के बीच बात जरूरी
बीजेपी को प्रदेश अध्यक्ष के रूप में ऐसा नेता चाहिए, जो दिल्ली (केंद्रीय नेतृत्व) और लखनऊ (योगी सरकार) के बीच समन्वय बना सके। दिल्ली बनाम लखनऊ की चर्चाएं पार्टी में समय-समय पर सामने आती रही हैं। केंद्रीय नेतृत्व नहीं चाहता कि नया प्रदेश अध्यक्ष पूरी तरह से योगी सरकार का हिस्सा बन जाए, बल्कि वह पार्टी लाइन पर संतुलित तरीके से काम करे। स्वतंत्र देव सिंह और सीएम योगी के बीच अच्छा तालमेल रहा था, जबकि भूपेंद्र चौधरी और केशव प्रसाद मौर्य के साथ ऐसा समीकरण देखने को नहीं मिला।
जल्द होगा नाम का ऐलान
पीयूष गोयल जल्द ही लखनऊ का दौरा करेंगे और प्रदेश अध्यक्ष को लेकर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। पार्टी के अंदर कई नामों पर चर्चा चल रही है, लेकिन अभी तक किसी एक नाम पर सहमति नहीं बनी है। 2027 के चुनाव को ध्यान में रखते हुए बीजेपी के लिए यह फैसला बेहद अहम होगा, क्योंकि नया प्रदेश अध्यक्ष ही पार्टी की चुनावी नैया पार लगाने की रणनीति को जमीन पर उतारेगा।
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