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Greater Noida में एक शख्स की 2 बार मौत दिखाए जाने का मामला, 10 साल बाद कोर्ट ने सुनाया फैसला, ये दिया आदेश

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ग्रेटर नोएडा से एक ऐसा मामला सामने आया है. जिसे सुनकर जहां एक ओर इंसान के लालच की हद को लेकर हर कोई सोच में पड़ा हुआ है. तो वहीं सरकारी तंत्र की लापरवाही और घूसखोरी को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं. जी हां ये ऐसा मामला है जिसे सुनकर आप भी हैरान रह जाएंगे. दरअसल यहां पर एक व्यक्ति की 2 बार मौत दिखाई गई. जिसमें से पहली बार हत्या और दूसरी बार सड़क हादसे में मौत होना दिखाया गया. इतना ही नहीं इसके बलबूते शासन से 1.5 लाख रुपए का मुआवजा भी लिया गया है. 

10 साल बाद मामले में कोर्ट ने सुनाया फैसला 

इस मामले में अब पूरे 10 साल बाद कोर्ट का फैसला सामने आया है. कोर्ट ने पोस्टमार्टम में नेचुरल डेथ की पुष्टि के बाद भी ग़लत चर्जशीट लगाने पर 2 विवेचकों के ख़िलाफ़ कार्रवाई और जुर्माने के आदेश जारी कर दिए गए हैं. बताया जा रहा है कि रबूपुरा थाने में 15 मई 2015 को ग़ैर इरादतन हत्या का मुक़दमा दर्ज हुआ था. वहीं इस घटना के 5 महीने बाद मृतक की पत्नी ने सड़क हादसा बताकर डीएम के ज़रिए शासन से मुआवजा ले लिया. 15 मई 2015 को ग़ैर इरादतन हत्या के मामले में पकड़े गए दो आरोपियों को कोर्ट ने बाइज्जत बरी कर दिया है. साथ ही तत्कालीन एसओ दिलीप सिंह विष्ट और इंस्पेक्टर अजय कुमार सिंह के ख़िलाफ़ कार्रवाई के जिला जज ने आदेश दिए हैं.  

किसकी सांठगांठ से मृतक के परिजनों ने लिया मुआवजा 

इस मामले के सामने आने के बाद बड़ा सवाल ये खड़ा होता है कि आखिरकार किसकी मदद और सांठगांठ के बल पर मृतक के परिवार ने मुआवजा ले लिया. क्योंकि सड़क हादसे में भी पुलिस और प्रशासन की रिपोर्ट की संस्तुति के बाद मुआवजा दिया जाता है. इसके साथ ही जब 5 महीने पहले एक शख्स की मौत हो चुकी थी, तो 5 महीने बाद उसी शख्स की दूसरी लाश कहां से आई. इतना ही नहीं क्या प्रशासनिक तंत्र इस कदर खोखला हो चुका है कि इसकी नाक के नीचे कोई कुछ भी कर सकता है. बहरहाल इस मामले की परत दर परत जांच होनी जरूरी है. 

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