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पजामे का नाड़ा तोड़ना, स्तन पकड़ना नहीं है रेप की कोशिश, इलाहाबाद हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, स्पेशल कोर्ट को दिया ये निर्देश

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Noida: रेप के मामले को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक बड़ी टिप्पणी की है. कोर्ट की टिप्पणी के मुताबिक किसी के स्तनों को छूना या कपड़े उतारने की कोशिश करना दुष्कर्म का प्रयास नहीं माना जा सकता है. इसे यौन उत्पीड़न जरूर कहा जा सकता है.

स्पेशल कोर्ट के फैसले को पलटा

इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति मनोहर नारायण मिश्र की एकल पीठ बच्ची के साथ रेप की कोशिश के एक मामले की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की है. न्यायमूर्ति ने स्पेशल जज पोक्सो कोर्ट के समन आदेश को संशोधित कर दिया है. हाई कोर्ट ने स्पेशल कोर्ट को नए सिरे से समन करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि पोक्सो कोर्ट द्वारा जारी समन दुष्कर्म के मामले में कानून सम्मत नहीं है. कुछ साल पहले 11 साल की बच्ची के साथ हुई रेप की कोशिश के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई हो रही थी.

नए सिरे से समन करने का आदेश

स्पेशल कोर्ट ने इस मामले में आरोपी आकाश, पवन और अशोक को आईपीसी की धारा 376 और पोक्सो अधिनियम की धारा 18 के तहत मुकदमे का सामना करने के लिए बुलाया था. हाई कोर्ट ने निर्देश दिया है कि आरोपियों के खिलाफ धारा 354-बी आईपीसी के मामूली आरोप के साथ पोक्सो अधिनियम की धारा 9/10 के तहत मुकदमा चलाया जाए.

पोक्सो की धाराओं को हो रहा है दुरुपयोग

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की इस टिप्पणी पर वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. एपी सिंह ने कहा कि जब से 2012 में पोक्सो में अमेंडमेंट हुआ. अमेंडमेंट के बाद जो मिसयूज शुरू हुआ. आज पोक्सो और रेप केस के मामले में कैसे कैसे आरोप लग रहे हैं. फैमली मैटर होते हैं लेकिन ये केस किए जाते हैं. प्रॉपर्टी का विवाद है, परोस का विवाद है, पॉलिटिकल रिवेंज का मोटिव है, बदला लेने के लिए इन धाराओं का दुरुपयोग हो रहा है. कोर्ट भी समझ रही है कि इन धाराओं का दुरुपयोग हो रहा है. इन केसों का डर दिखाकर शोषण किया जा रहा है. 

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