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ग्रेटर नोएडा में सरकारी मास्टर साहब बेचना चाह रहे थे देसी शराब, आबकारी विभाग ने भी दिया लाइसेंस, फिर हो गया कांड

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Greater Noida: ग्रेटर नोएडा में देसी शराब दुकान लाइसेंस के आवंटन में फर्जीवाड़ा सामने आया है। प्राथमिक स्कूल के शिक्षक ने टीचर ने आवेदन किया था और ई-लॉटरी में उसे दुकान आवंटित भी हो गई। जब इस अनियमितता का पता चला आवंटन को रद्द कर दिया गया है।

शिक्षक को कैसे मिली शराब की दुकान?
जिला आबकारी अधिकारी सुबोध कुमार ने बताया कि पहले चरण में 16 आवेदन आए थे, जबकि दूसरे चरण में 173 आवेदन प्राप्त हुए। देसी शराब की दुकानों के लिए आवेदन शुल्क 40,000 से 65,000 रुपये के बीच है। यह फीस स्थान और दुकान के आकार पर निर्भर करता है। उन्होंने बताया कि 6 मार्च को 2025-26 के लिए 501 शराब की दुकानों का आवंटन किया गया। इस बीच दस्तावेज़ सत्यापन के दौरान पता चला कि एक दुकान का लाइसेंस एक सरकारी शिक्षक के नाम पर आवंटित हुआ है। जबकि आबकारी नियमों के मुताबिक, कोई भी सरकारी कर्मचारी शराब की दुकान का लाइसेंस नहीं ले सकता है। तुरंत इस गलती को सुधारते हुए शिक्षक का आवंटन रद्द कर दिया गया। दुकान के लिए दूसरे चरण में नए आवेदन मांगे गए हैं। गौरतलब है कि सूरजपुर कलेक्ट्रेट सभागार में गुरुवार को दूसरे चरण की ई-लॉटरी आयोजित हुई। दुकान का आवंटन रैंडमाइजेशन प्रक्रिया के जरिए किया गया। 
ई-लॉटरी से 139.4 करोड़ की आय हुई
पहले चरण में आबकारी विभाग को 18,229 आवेदन प्राप्त हुए, जिससे प्रोसेसिंग फीस के रूप में 139.4 करोड़ रुपये की आय हुई। 166.8 करोड़ रुपये की लाइसेंस फीस जमा हुई। जिसमें मॉडल शॉप से: 38.2, देशी शराब दुकानों से 52.2, कंपोजिट दुकानों से 76.2 करोड़ और भांग की एक दुकान से  22 लाख रुपये की आय हुई।

गाजियाबाद में तीन दुकानों से 25.7 लाख की आय
गाजियाबाद में भी ई-लॉटरी का दूसरा चरण आयोजित किया गया, जहां दो भांग की दुकानों और एक देसी शराब की दुकान का फिर से आवंटन हुआ। 
गाजियाबाद के डीईओ संजय सिंह ने बताया कि पहले चरण में एक भांग की दुकान तकनीकी जटिलता के कारण आवंटित नहीं हो सकी थी, जबकि दो दुकानों के आवंटी लाइसेंस शुल्क जमा नहीं कर सके, जिससे उनका आवंटन रद्द करना पड़ा।

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