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Waqf बिल पर विवाद: मुस्लिम समाज की नाराज़गी, विपक्ष का विरोध, क्या संसद में पास होगा बिल?

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वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024, लोकसभा में 8 अगस्त 2024 को पेश किया गया। इस विधेयक का उद्देश्य वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करना है, जिसमें वक्फ बोर्डों और केंद्रीय वक्फ परिषद में गैर-मुस्लिम व्यक्तियों और मुस्लिम महिलाओं की नियुक्ति का प्रावधान शामिल है। सरकार का दावा है कि इन संशोधनों से वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और समावेशिता बढ़ेगी।

मुस्लिम समाज को क्यों आपत्ति?

मुस्लिम संगठनों और नेताओं ने इस विधेयक पर कड़ी आपत्ति जताई है। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों की स्थिति को बदलने का प्रयास है, जिससे उन पर कब्जा करना आसान हो जाएगा। उन्होंने चेतावनी दी कि नए संशोधन के पारित होने से "कलेक्टर राज" स्थापित हो जाएगा, जहां कलेक्टर का निर्णय अंतिम होगा कि कौन सी संपत्ति वक्फ है और कौन सी नहीं। यह वक्फ ट्रिब्यूनल की भूमिका को कमजोर करेगा।
जमात-ए-इस्लामी हिंद के अध्यक्ष सैयद सदातुल्लाह हुसैनी ने भी इस विधेयक की आलोचना करते हुए कहा कि यह मुस्लिम समुदाय के लिए अस्वीकार्य है और वक्फ संपत्तियों की स्वायत्तता और अखंडता को कम करता है। ​
पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनीस मंसूरी ने इस विधेयक को पसमांदा समाज के अधिकारों पर हमला बताया है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह विधेयक वंचित वर्गों के हितों की अनदेखी कर अमीर और प्रभावशाली लोगों को लाभ पहुंचाने का प्रयास है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि इस विधेयक को संशोधित नहीं किया गया, तो पसमांदा समाज देशभर में लोकतांत्रिक तरीके से विरोध प्रदर्शन करेगा। 

विपक्ष का विरोध क्यों?

विपक्षी दलों ने भी इस विधेयक का विरोध किया है। कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने इसे संविधान से मिले धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन बताया और सवाल उठाया कि जब मंदिरों की समितियों में गैर-हिंदू सदस्य नहीं होते, तो वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति क्यों की जा रही है।
AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इस विधेयक को संविधान की मूल भावना पर हमला करार दिया और कहा कि यह हिंदू-मुस्लिम के बीच भेदभाव करता है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार वक्फ संपत्तियों पर नियंत्रण स्थापित करना चाहती है।
समाजवादी पार्टी के सांसद अखिलेश यादव ने भी इस विधेयक का विरोध करते हुए इसे सोची-समझी राजनीति का हिस्सा बताया और कहा कि यह मुस्लिम समुदाय के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप है। ​

संसद में विधेयक की स्थिति:

लोकसभा में इस विधेयक को पेश किए जाने के बाद, इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजा गया, जिसने 14 संशोधनों पर अपनी अंतिम मुहर लगाई है। विधेयक पर विपक्ष के विरोध के बावजूद, सत्तारूढ़ दल के पास संसद में पर्याप्त संख्या बल है, जिससे इसके पारित होने की संभावना बढ़ जाती है। हालांकि, जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) जैसे सहयोगी दलों ने भी इस विधेयक का समर्थन किया है, जिससे इसके पारित होने की संभावना और बढ़ गई है। 

क्या संसद में पास हो जाएगा बिल?

वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को लेकर मुस्लिम समुदाय और विपक्षी दलों में गहरी नाराजगी है। उनका मानना है कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों की स्वायत्तता को कमजोर करता है और मुस्लिम समुदाय के धार्मिक मामलों में सरकारी हस्तक्षेप बढ़ाता है। विपक्ष और मुस्लिम संगठनों के विरोध के बावजूद, संसद में सत्तारूढ़ दल के संख्या बल को देखते हुए, इस विधेयक के पारित होने की संभावना प्रबल है। यदि यह विधेयक पारित होता है, तो इसके सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव दूरगामी हो सकते हैं, और मुस्लिम समुदाय के साथ-साथ विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया महत्वपूर्ण होगी।

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