Shahjahanpur का ट्रांसजेंडर पुरुष बना पिता, घर में गूंजी किलकारी, समाज के लिए मिसाल बना शरद-सविता का सफर

- Rishabh Chhabra
- 03 Apr, 2025
उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में एक अनोखा मामला सामने आया है, जहां एक ट्रांसजेंडर पुरुष पिता बना है। सरिता के रूप में जन्मे शख्स ने विज्ञान की मदद से लिंग परिवर्तन कराया और शरद सिंह बन गए। इसके बाद उन्होंने अपनी गर्लफ्रेंड सविता से शादी की और अब उनके घर बेटे की किलकारी गूंजी है।
सरिता से शरद बनने की अनोखी यात्रा
शरद सिंह, जो पहले सरिता के नाम से जानी जाती थीं, जन्म से एक लड़की थीं। लेकिन उनकी पहचान हमेशा से एक लड़के जैसी रही। वह लड़कों की तरह कपड़े पहनतीं और उन्हीं की तरह व्यवहार करतीं। 2022 में उन्होंने लिंग परिवर्तन का फैसला लिया। लखनऊ में हार्मोन थेरेपी से उनके शरीर में पुरुषों के लक्षण आने लगे। बाद में, इंदौर में उन्होंने सर्जरी करवाई और आधिकारिक रूप से पुरुष बन गए।
प्रेम, विवाह और पिता बनने तक का सफर
27 जून 2023 को डीएम उमेश प्रताप सिंह ने उन्हें लिंग परिवर्तन का प्रमाणपत्र दिया, जिसके बाद वह कानूनी रूप से शरद रोशन सिंह बन गए। फिर 23 नवंबर 2023 को उन्होंने पीलीभीत की रहने वाली सविता से विवाह किया। शादी के कुछ महीनों बाद, सविता गर्भवती हुईं और 3 अप्रैल 2024 को उन्होंने एक बेटे को जन्म दिया।
विज्ञान ने बनाया ‘चमत्कार’ संभव
बरेली के वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. सुदीप सरन के अनुसार, ट्रांसजेंडर व्यक्तियों में यदि महिला एवं पुरुष दोनों के जैविक लक्षण मौजूद हों, तो सर्जरी और हार्मोन थेरेपी से उनमें परिवर्तन किया जा सकता है। इस प्रक्रिया के जरिए महिला के प्रजनन अंगों को हटाया जाता है और पुरुष संबंधी हार्मोन दिए जाते हैं। इस वजह से वे सामान्य पुरुषों की तरह जीवन जी सकते हैं और संतान भी उत्पन्न कर सकते हैं।
खुशी से झूम उठा परिवार
शरद सिंह, जो वर्तमान में एक सरकारी स्कूल में सहायक अध्यापक हैं, अपने पिता बनने की खुशी से फूले नहीं समा रहे। उन्होंने कहा, "जिन परिस्थितियों से गुजरकर मैंने यह सफर तय किया, वह आसान नहीं था, लेकिन आज मैं दुनिया का सबसे खुश इंसान हूं।" उनके घर नवादा दरोवस्त गांव में जश्न का माहौल है।
शरद और सविता की कहानी समाज में नई सोच को जन्म देती है। यह साबित करती है कि विज्ञान और इच्छाशक्ति के सहारे इंसान कुछ भी हासिल कर सकता है। उनका यह सफर ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए प्रेरणा है, जो अपनी पहचान के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
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