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Sambhal में तंत्र विद्या की आड़ में घिनौना 'कांड', मथुरा के प्रोफेसर भी शामिल, पुलिस ने सिखाया ऐसे सबक !

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उत्तर प्रदेश के संभल में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने समाज और शिक्षा जगत दोनों को शर्मसार कर दिया है। एक यूनिवर्सिटी का प्रोफेसर उन दरिंदों के गैंग का हिस्सा निकला, जो काला जादू और तंत्र-मंत्र के बहाने बेरोजगार लड़के-लड़कियों को ठगते और उनका यौन शोषण करते थे। पुलिस ने इस मामले में कुल 14 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें जीएलए यूनिवर्सिटी मथुरा का प्रोफेसर दशरथ सिंह उर्फ डीएस सिसौदिया भी शामिल है।

पुलिस को प्रोफेसर के मोबाइल से लड़के-लड़कियों की आपत्तिजनक तस्वीरें, वीडियो, काला जादू से जुड़े रिचुअल्स और गैंग के सदस्यों से कोडवर्ड में हुई बातचीत मिली है। यह गैंग ‘धनवर्षा’ के नाम पर लोगों को फांसता था और तांत्रिक क्रियाओं के नाम पर उनका मानसिक और शारीरिक शोषण करता था।

तीन साल से गैंग में था प्रोफेसर

एसपी कृष्ण कुमार विश्नोई और एएसपी अनुकृति शर्मा ने बताया कि गिरफ्तार प्रोफेसर पिछले तीन वर्षों से गैंग से जुड़ा हुआ था। पूछताछ में उसने बताया कि वह ‘बी पार्टी’ यानी ‘मीडिया’ की भूमिका निभाता था। उसका काम युवतियों को गैंग के तांत्रिक सदस्यों से मिलवाना और उन्हें विश्वास में लेकर गैंग के जाल में फंसाना था। प्रोफेसर का काम केवल शिकार को तैयार करना था, लेकिन उसकी भूमिका गैंग के ऑपरेशन में अहम थी।

कोडवर्ड की दुनिया: ‘कारीगर’, ‘आर्टिकल’ और ‘मीडिया’

गिरफ्तार डीएन त्रिपाठी के मोबाइल से मिली एक ऑडियो रिकॉर्डिंग में प्रोफेसर दशरथ से बातचीत पकड़ी गई। इसमें लड़कियों को ‘आर्टिकल’, तांत्रिक को ‘कारीगर’ और खुद को ‘मीडिया’ कहकर संबोधित किया गया। बातचीत में साफ तौर पर लड़कियों को कारीगर से ‘काम’ कराने की बातें सामने आईं। यानी पूरा नेटवर्क एक फर्जी भाषा और कोडवर्ड में काम करता था, ताकि किसी को शक न हो।

शोषण का जाल: बेरोजगार युवा बने निशाना

यह गैंग विशेष रूप से उन युवक-युवतियों को निशाना बनाता था, जो बेरोजगारी और आर्थिक तंगी के कारण किसी चमत्कारी समाधान की तलाश में थे। प्रोफेसर जैसे पढ़े-लिखे व्यक्ति द्वारा इस गिरोह का हिस्सा होना समाज के लिए एक भयावह संकेत है। शिक्षा का मंदिर माने जाने वाले संस्थान में बैठा एक दरिंदा युवाओं को उज्ज्वल भविष्य की जगह शोषण की ओर धकेल रहा था।

क्या यूनिवर्सिटी की छात्राएं भी थीं निशाने पर?

फिलहाल, पुलिस को अभी तक ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला है जिससे यह पुष्टि हो सके कि प्रोफेसर ने यूनिवर्सिटी की छात्राओं का शोषण किया हो। लेकिन पुलिस की जांच जारी है और गैंग की पूरी श्रृंखला तक पहुंचने के प्रयास हो रहे हैं। अधिकारियों ने यह भी बताया कि वे चाहते हैं कि कोई भी पीड़ित युवती सामने आए और गैंग के कुकर्मों का खुलासा करे।

कैमरे की आंख में कैद दरिंदगी

पुलिस द्वारा जब्त किए गए मोबाइल में कई लड़कियों के वीडियो और तस्वीरें मिलने से स्पष्ट है कि यह गैंग न सिर्फ मानसिक और शारीरिक बल्कि डिजिटल शोषण भी करता था। कैमरे में कैद की गईं ये फुटेज गैंग के सदस्यों के लिए हथियार की तरह थीं, जिनके दम पर वो पीड़ितों को ब्लैकमेल भी कर सकते थे।

संभल पुलिस की यह कार्रवाई एक बड़ी कामयाबी मानी जा रही है, लेकिन यह भी स्पष्ट है कि समाज के भीतर मौजूद ऐसे शातिर अपराधी अभी भी बेनकाब होने बाकी हैं। यह मामला एक चेतावनी है—सिर्फ शिक्षा का दर्जा ही नहीं, चरित्र भी जरूरी है।

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