Bulandshahr: 15 साल से दूर था बेटा, मिलते ही फ़फ़क पड़ी मां, योगी के अधिकारियों के सामने बोली दिल छूने वाली बात!

- Rishabh Chhabra
- 10 Apr, 2025
बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश – कहते हैं मां और बच्चे के रिश्ते को कोई ताकत जुदा नहीं कर सकती। इसका जीता-जागता उदाहरण बुधवार को बुलंदशहर में देखने को मिला, जब 15 साल से बेटे की तलाश में दर-दर भटक रही एक मां की मुराद आखिरकार पूरी हो गई। मूल रूप से बिहार की रहने वाली उर्मिला, जिसने पति की मौत और मानसिक संतुलन खोने के बाद भी हार नहीं मानी, आखिरकार अपने बेटे हरिओम को गले लगा पाई। यह पल सिर्फ एक मिलन का नहीं, बल्कि जिद, प्रेम और ममता की जीत का था।
करीब 20 साल पहले उर्मिला की शादी बुलंदशहर के नरसेना निवासी सुशील से हुई थी। शादी के बाद बेटे हरिओम का जन्म हुआ, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। हरिओम के जन्म के कुछ समय बाद ही सुशील की मौत हो गई। इस गहरे सदमे से उर्मिला का मानसिक संतुलन बिगड़ गया और वह स्याना इलाके में रहने लगी।
इधर, मासूम हरिओम को उसके ताऊ ने अपने पास रख लिया और उसकी परवरिश की जिम्मेदारी संभाल ली। लेकिन उर्मिला की ममता कभी खत्म नहीं हुई। वह साल दर साल अपने बेटे से मिलने आती रही और उसे साथ ले जाने की कोशिश करती रही, लेकिन मानसिक स्थिति कमजोर होने के कारण कोई उसकी बात को गंभीरता से नहीं लेता था। बेटा भी मां के साथ जाने से इनकार करता रहा।
उर्मिला ने बेटे को पाने के लिए थाना, एसएसपी ऑफिस, डीएम कार्यालय और यहां तक कि मुख्यमंत्री दरबार तक दस्तक दी, लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हुई। किसी ने उसे गंभीरता से नहीं लिया, किसी ने उसकी हालत को देखकर मूक सहानुभूति जताई, लेकिन बेटे को दिलाने की पहल नहीं हुई।
बीते शनिवार को आयोजित समाधान दिवस में उर्मिला ने एक बार फिर उम्मीद लेकर नरसेना थाने का रुख किया। वहां उसने थाना प्रभारी रितेश कुमार सिंह को अपनी व्यथा सुनाई और बेटे को पाने की गुहार लगाई। इस बार किस्मत ने उसका साथ दिया। थाना प्रभारी ने मामला स्याना सीओ प्रखर पांडे और एसडीएम गजेंद्र सिंह के सामने रखा।
दोनों अधिकारियों ने मामले को गंभीरता से लिया और हरिओम को खोजकर स्याना कार्यालय बुलवाया। जब मां और बेटे की वर्षों पुरानी दूरी मिटाई गई, तो पूरा माहौल भावुक हो गया। जैसे ही उर्मिला ने हरिओम को देखा, वह दौड़कर उसे गले लगा रो पड़ी। वहां मौजूद अधिकारी और कर्मचारी भी उस दृश्य को देखकर भावुक हो उठे।
स्याना सीओ प्रखर पांडे ने बताया कि हरिओम अब अपनी मां के साथ रहने को तैयार है और उसे उर्मिला के सुपुर्द कर दिया गया है। उधर, एसडीएम गजेंद्र सिंह ने बताया कि महिला को सरकारी सहायता दिलाने की भी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है, ताकि उसकी जिंदगी फिर से पटरी पर लौट सके।
इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि सच्ची ममता कभी हारती नहीं। उर्मिला की आंखों से बहते आंसू सिर्फ खुशी के नहीं थे, वो उन वर्षों की पीड़ा, संघर्ष और इंतजार के आंसू थे, जिसे उसने अपने दिल में संजो रखा था।
बुलंदशहर की यह कहानी सिर्फ एक मां और बेटे के पुनर्मिलन की नहीं, बल्कि हौसले, जिद और ममता की जीत की मिसाल बन गई है।
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