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Bihar के लखनपुर बेगूसराय में कौशल विकास कार्यक्रम का उद्घाटन किया, केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह ने किया उद्घाटन

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पटना, बिहार – 11 अप्रैल 2025: भारत सरकार के माननीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह ने आज लखनपुर बेगूसराय में जलकुंभी पर कौशल विकास कार्यक्रम का उद्घाटन किया। उद्घाटन समारोह में बिहार सरकार के खेल मंत्री सुरेन्द्र मेहता, बेगूसराय के विधायक कुंदन कुमार, मटिहानी के विधायक राज कुमार सिंह, भाजपा के वरिष्ठ नेता केशव सांडिल्य, जेडीयू के जिला अध्यक्ष रूदल रॉय, भाजपा के जिला अध्यक्ष राजीव कुमार वर्मा, कपड़ा मंत्रालय में विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) अमृत राज, जीविका बेगूसराय के डीपीएम अविनाश कुमार, ईपीसीएच के अतिरिक्त कार्यकारी निदेशक राजेश रावत सहित भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारी, उद्योग जगत के नेता, कारीगर और मीडिया प्रतिनिधि मौजूद रहे।

कौशल विकास कार्यक्रम के उद्घाटन का विशेष महत्व

अपने संबोधन में गिरिराज सिंह ने कहा, "बेगूसराय में जलकुंभी पर इस कौशल विकास कार्यक्रम का उद्घाटन विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यह दो महत्वपूर्ण लक्ष्यों को एक साथ लाता है। कौशल विकास के माध्यम से हमारे कारीगरों को सशक्त बनाना और हमारे शिल्प प्रथाओं में स्थिरता को बढ़ावा देना। हम इस पहल को केवल बेगूसराय तक ही सीमित नहीं रखेंगे, परियोजना के सफल समापन के बाद हम इस पहल को बिहार के अन्य हिस्सों और पूरे देश में दोहराएंगे।"

जलकुंभी के शिल्प में 200 से अधिक कारीगरों को प्रशिक्षित करना 

मंत्री ने आगे कहा कि "मैं इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद (ईपीसीएच) की सराहना करता हूं।  इसके साथ ही मैं विकास आयुक्त कार्यालय, वस्त्र मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से हस्तशिल्प क्षेत्र के उत्थान में उनके निरंतर प्रयासों के लिए भी आभार व्यक्त करना चाहूंगा। इस पहल का उद्देश्य जलकुंभी के शिल्प में 200 से अधिक कारीगरों को प्रशिक्षित करना है। यह पर्यावरण के अनुकूल सामग्रियों की क्षमता का दोहन करने की दिशा में एक अनुकरणीय कदम है, साथ ही हमारे कारीगरों को विकास के नए अवसर प्रदान करना है।"

मंत्री ने महिला प्रतिभागियों से की अपील 

मंत्री ने महिला प्रतिभागियों से इस पहल को अपनाने और बिहार राज्य में ज्यादा मात्रा में उपलब्ध इस महत्वपूर्ण सस्टेनेबल कच्चे माल से विभिन्न घरेलू और सजावटी सामान को अपने जीविकोपार्जन का साधन बनाने का आग्रह किया। उन्होंने बिहार के उद्यमियों से भी आग्रह किया कि वे कारीगरों को उनके उत्पादों को भारत और विदेशों के बाजारों में ले जाने में मदद करें।

“हस्तशिल्प उत्पादन के लिए सस्टेनेबल कच्चे माल को बढ़ावा देना”

वस्त्र मंत्रालय की विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) अमृत राज ने कहा कि “आज हम जिस पहल के लिए यहां आए हैं, उसका उद्देश्य हस्तशिल्प उत्पादन के लिए सस्टेनेबल कच्चे माल को बढ़ावा देना है। उन्होंने बताया कि विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) ने इस पहल के लिए तकनीकी साझेदार के रूप में मेसर्स क्रिएटिव बी और कार्यान्वयन साझेदार के रूप में ईपीसीएच को शामिल किया है। मुझे उम्मीद है कि ईपीसीएच भविष्य में उद्यमिता को बढ़ावा देने, बिक्री बढ़ाने और घरेलू और विदेशी बाजारों का विस्तार करने के लिए ऐसे प्रयास जारी रखेगा। जलकुंभी, जिसे लंबे समय से एक आक्रामक प्रजाति और जलीय पारिस्थितिकी प्रणालियों के लिए खतरा माना जाता रहा है, इस अभिनव कार्यक्रम के माध्यम से एक मूल्यवान संसाधन में तब्दील हो रही है। सस्टेनेबल हस्तशिल्प बनाने के लिए इस सामग्री का उपयोग करके, हम पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान कर रहे हैं और साथ ही साथ अपने कारीगरों के लिए नई आर्थिक संभावनाओं को खोल रहे हैं।”

”कौशल कार्यक्रम के शुभारंभ से 200 से अधिक कारीगरों को प्रशिक्षण”

ईपीसीएच के चेयरमैन दिलीप बैद ने कहा कि “इस अनूठे कौशल कार्यक्रम के शुभारंभ से 200 से अधिक कारीगरों को प्रशिक्षण मिलेगा, जिससे उन्हें जलकुंभी के साथ काम करने के लिए आवश्यक कौशल से लैस किया जाएगा, जो एक ऐसी सामग्री है जिसमें हस्तशिल्प उद्योग के लिए अपार संभावनाएं हैं। इस कार्यक्रम के माध्यम से, हमारा लक्ष्य एक बार समस्याग्रस्त खरपतवार को कारीगरों के लिए टिकाऊ, पर्यावरण के अनुकूल हस्तशिल्प बनाने के अवसर में बदलना है। यह न केवल पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान करता है बल्कि हमारे कारीगरों के लिए आय सृजन का एक नया अवसर भी प्रस्तुत करता है”। उन्होंने आगे कहा कि “कारीगरों को नए कौशल से लैस करके, हम न केवल अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित कर रहे हैं, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनने में भी मदद कर रहे हैं और हमारे राष्ट्र के 'आत्मनिर्भर भारत' दृष्टिकोण में योगदान दे रहे हैं।”


डीसी के सहयोग से कौशल विकास पहल का उद्घाटन

ईपीसीएच के अतिरिक्त कार्यकारी निदेशक राजेश रावत ने कहा कि "पिछले छह महीनों में यह दूसरा कार्यक्रम है जिसे ईपीसीएच आपके मार्गदर्शन में आयोजित कर रहा है, पहला कार्यक्रम पटना में ईपीसीएच कार्यालय का उद्घाटन था और आज हम यहां बेगुसराई में डीसी (हस्तशिल्प) के सहयोग से इस कौशल विकास पहल का उद्घाटन कर रहे हैं I बिहार राज्य में विभिन्न कौशल विकास, कैपेसिटी बिल्डिंग और निर्यात संवर्धन पहलों को आगे बढ़ाने के लिए ईपीसीएच को आपके निरंतर समर्थन के लिए हम आपका हार्दिक आभार व्यक्त करते हैं।
 
बिहार से 2023-24 वर्ष हस्तशिल्प का निर्यात लगभग 30 करोड़ रुपये

ईपीसीएच के आर. के. वर्मा कार्यकारी निदेशक बताया कि ईपीसीएच भारत से विभिन्न वैश्विक स्थलों पर भारतीय हस्तशिल्पों के निर्यात को बढ़ावा देने वाली एक नोडल संस्थान है। जो भारत को उच्च गुणवत्ता वाले हस्तशिल्प के विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में पेश करती है। ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक वित्त वर्ष 2023-24 में हस्तशिल्प का निर्यात 32,758.80 करोड़ रुपये (3,956.46 मिलियन अमेरिकी डॉलर) तक पहुंच गया, इसमें पिछले वर्ष की तुलना में रुपये के संदर्भ में 9.13% और डॉलर के संदर्भ में 6.11% की वृद्धि दर्ज की गई। बिहार से 2023-24 वर्ष हस्तशिल्प का निर्यात लगभग 30 करोड़ रुपये का हुआ।

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