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Ayodhya: अब रामलला के साथ तुलसीदास जी के भी होंगे दर्शन: राम मंदिर परिसर में दिव्य प्रतिमा का अनावरण

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अयोध्या के पावन राम मंदिर परिसर में आज एक ऐतिहासिक क्षण साक्षी बना, जब भगवान श्रीराम के परमभक्त और रामचरितमानस के रचयिता संत तुलसीदास जी की दिव्य प्रतिमा का विधिवत अनावरण किया गया। यह केवल एक मूर्ति स्थापना नहीं, बल्कि उस चेतना का सम्मान है जिसने 'राम' को जनमानस की भाषा में गहराई से बसाया। इस अनावरण समारोह ने राम मंदिर को एक नए आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आयाम से जोड़ दिया है।

प्रतिमा अनावरण का कार्यक्रम आज भोर में हनुमान चालीसा के सामूहिक पाठ के साथ शुरू हुआ। राम मंदिर परिसर के यात्री सुविधा केंद्र के पूर्वी प्रवेश द्वार पर यह प्रतिमा स्थापित की गई है। अब हर भक्त जो रामलला के दर्शन को मंदिर पहुंचेगा, वह सबसे पहले संत तुलसीदास जी को नमन करेगा। यह स्थान आने वाले समय में आस्था, साहित्य और संस्कृति का संगम स्थल बनकर उभरेगा।

इस शुभ अवसर पर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय, मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र, ट्रस्टी अनिल और टाटा व एलएंडटी कंपनी के कई सदस्य उपस्थित रहे। सभी ने संत तुलसीदास जी की प्रतिमा के समक्ष श्रद्धा सुमन अर्पित किए और इस आयोजन को आध्यात्मिक गरिमा प्रदान की।

चंपत राय ने कहा, “राम मंदिर का निर्माण अब अपनी पूर्णता की ओर अग्रसर है। वैशाखी और बाबा साहेब अंबेडकर जयंती के अवसर पर मंदिर के मुख्य शिखर पर कलश स्थापित किया गया है और आज तुलसीदास जी की प्रतिमा को स्थापित कर एक महत्वपूर्ण अध्याय जोड़ा गया है।”

उन्होंने संत तुलसीदास जी के योगदान को याद करते हुए कहा, “तुलसीदास जी वह संत हैं जिनके शब्दों में राम ने बोलना सीखा, जिनकी चौपाइयों में भक्ति ने गति पाई। उन्होंने राम कथा को संस्कृत के बंधन से मुक्त कर अवधी भाषा में रामचरितमानस के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाया। उन्होंने उस युग में राम नाम का दीप जलाया, जब समाज अंधकार में था।”

चंपत राय ने यह भी कहा कि यह मंदिर न केवल आस्था का केंद्र बन रहा है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक और साहित्यिक चेतना का पुनर्जागरण भी कर रहा है। “अब राम मंदिर परिसर में भक्ति, साहित्य और संस्कृति एक साथ सांस लेते नजर आएंगे। संत तुलसीदास जी की यह प्रतिमा हमें उनके अवदान की निरंतर याद दिलाएगी,” उन्होंने जोड़ा।

राम मंदिर के इस पवित्र स्थल पर संत तुलसीदास जी की स्थायी उपस्थिति से संपूर्ण वातावरण और भी अधिक दिव्य, जीवंत और प्रेरणादायक हो गया है। श्रद्धालुओं के लिए यह एक नई शुरुआत है, जहां वे भगवान राम के साथ-साथ उस महापुरुष के भी दर्शन कर सकेंगे, जिनके कारण राम कथा घर-घर तक पहुंच सकी। यह अनावरण वास्तव में उस भावनात्मक कड़ी को और मजबूत करता है, जो राम और उनके भक्तों को जोड़ती है।

अब अयोध्या आने वाला हर भक्त पहले तुलसीदास जी को नमन करेगा, फिर रामलला के दर्शन से अपने जीवन को धन्य करेगा। यह स्थापना इतिहास के पन्नों में एक स्वर्णिम अध्याय के रूप में दर्ज हो गई है।

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