Religion: पूजा में भूलकर भी न करें ये गलतियां: जानें वास्तु और शास्त्र के अनुसार सही नियम

- Rishabh Chhabra
- 15 Apr, 2025
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का पूजा घर उत्तर-पूर्व दिशा यानी ईशान कोण में होना चाहिए। यह दिशा देवताओं का वास स्थान मानी जाती है और यहीं से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। पूजा घर को शांत और पवित्र ऊर्जा का केंद्र माना गया है।
पूजा करते समय दिशा का रखें ध्यान
पूजा करते समय व्यक्ति को पूर्व दिशा या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठना चाहिए। यह नियम सामान्य है, लेकिन जन्म कुंडली के अनुसार किसी व्यक्ति के लिए अलग दिशा भी उपयुक्त हो सकती है। अष्टकवर्ग के सिद्धांत से यह विश्लेषण ज्योतिष में किया जाता है।
मंदिर की व्यवस्था कैसी होनी चाहिए?
मंदिर कभी भी रसोई के स्लैब, बेडरूम या टॉयलेट से लगी दीवार पर नहीं होना चाहिए।
पूजा घर और टॉयलेट का दरवाजा आमने-सामने नहीं होना चाहिए।
मूर्तियों की ऊंचाई 2 से 10 इंच के बीच होनी चाहिए।
मूर्तियां एक-दूसरे के आमने-सामने न हों, और मंदिर में एक ही भगवान की दो मूर्तियां न रखें।
त्रिभुजाकार, खंडित या मंदिर से उठाकर लाई गई मूर्तियां पूजा में न रखें।
साफ-सफाई और पवित्रता का रखें विशेष ध्यान
मंदिर में बिना स्नान के न जाएं। यदि स्नान संभव न हो तो पैर अवश्य धोकर जाएं।
पैर धोते समय दाहिने हाथ से जल डालें और बाएं हाथ से पहले पीछे का हिस्सा फिर आगे का धोएं।
अंत में जल का छींटा सिर पर डालें ताकि पूर्ण शुद्धि हो।
मंदिर में क्या रखें, क्या नहीं
मंदिर में केवल पूजन सामग्री रखें, अन्य वस्तुएं नहीं।
पूजा के लिए तांबे का पात्र श्रेष्ठ माना गया है, नहीं हो तो स्टील का उपयोग कर सकते हैं।
मंदिर की अलमारी दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखें।
दीवारों का रंग हल्का नीला या हल्का पीला रखें, पत्थर का रंग सफेद होना चाहिए।
गणेश जी और पूर्वजों की तस्वीरों की स्थिति
घर के मुख्य द्वार पर दो मुंह वाली गणेश जी की मूर्ति लगाएं। ध्यान रखें गणेश जी की पीठ घर की ओर न हो।
पूर्वजों की तस्वीरें दक्षिण-पश्चिम दिशा में लगाएं, यदि संभव न हो तो दक्षिण दिशा में लगाना उचित रहेगा।
अन्य विशेष बातें
पूजा करते समय व्यक्ति की छाती के सामने ईश्वर के चरण हों, क्योंकि शास्त्रों में छाती के नीचे का भाग अपवित्र माना गया है।
मंदिर में रखी धार्मिक पुस्तकें भी ईशान कोण में ही रखें।
पूजा सिर्फ एक परंपरा नहीं, बल्कि एक दिव्य अनुशासन है। यदि हम इन नियमों का पालन श्रद्धा और विधिपूर्वक करें, तो न केवल हमारी भक्ति सफल होती है, बल्कि घर में सुख, समृद्धि और शांति भी बनी रहती है।
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