Ram भक्तों का खत्म इंतजार, 1200 करोड़ की लागत से 56 महीने में बनकर तैयार हुआ राम मंदिर, पढ़ें अपडेट

- Rishabh Chhabra
- 17 Apr, 2025
अयोध्या की पावन भूमि पर सदियों के संघर्ष और आस्था का प्रतीक बनकर श्रीराम जन्मभूमि मंदिर अब पूर्ण रूप से आकार ले चुका है। 1200 करोड़ रुपये की लागत और 56 महीनों की अथक मेहनत के बाद यह भव्य मंदिर बनकर तैयार हुआ है। नागर शैली में निर्मित यह मंदिर न सिर्फ धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि भारत की स्थापत्य कला और वैदिक परंपराओं का उत्कृष्ट उदाहरण भी है।
मंदिर निर्माण की प्रक्रिया में वंशी पहाड़पुर के करीब 4.5 लाख क्यूबिक फीट लाल पत्थरों का उपयोग किया गया है। मंदिर की लंबाई 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट और ऊंचाई 161 फीट है। यह तीन मंजिला संरचना 392 भव्य स्तंभों पर खड़ी है, जो प्राचीन भारतीय शिल्पकला की भव्यता को दर्शाते हैं। इसकी नींव 50 फीट गहरी पत्थर की चट्टान पर रखी गई है, जो इसे हजार वर्षों तक प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षित रखने में सक्षम बनाती है।
राम मंदिर सिर्फ एक भवन नहीं, बल्कि सदियों के संघर्ष की जीवंत कहानी है। इसका संघर्ष 1528 में शुरू हुआ, जब यह कहा जाता है कि बाबर के सेनापति मीर बाकी ने मंदिर को ध्वस्त कर वहां एक मस्जिद का निर्माण किया। इसके बाद 1949 तक इस भूमि की मुक्ति के लिए 76 युद्ध लड़े गए। राम भक्तों का संघर्ष जारी रहा, और 22-23 दिसंबर 1949 को रामलला का प्राकट्य विवादित स्थल पर हुआ।
इस आंदोलन के दौरान कई ऐतिहासिक घटनाएं हुईं—1990 में कारसेवकों पर हुई गोलीबारी से लेकर 6 दिसंबर 1992 को विवादित ढांचे का विध्वंस तक। अंततः 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले ने राम मंदिर के पक्ष में निर्णय सुनाया, जिससे इस बहुप्रतीक्षित निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ।
इसके बाद 25 मार्च 2020 को रामलला को टेंट से अस्थायी मंदिर में स्थानांतरित किया गया। 5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों भूमि पूजन संपन्न हुआ और मंदिर निर्माण की औपचारिक शुरुआत हुई। 22 जनवरी 2024 को भव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा सम्पन्न हुई। अब 14 अप्रैल 2025 को मंदिर के मुख्य शिखर पर कलश स्थापना के साथ यह स्वर्णिम अध्याय पूर्णता की ओर अग्रसर है।
राम मंदिर आज न केवल धार्मिक श्रद्धा का केंद्र बना है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक पहचान, ऐतिहासिक न्याय और वास्तुकला की उत्कृष्टता का प्रतीक बन चुका है। अयोध्या नगरी एक बार फिर विश्व के धार्मिक और सांस्कृतिक मानचित्र पर गौरव से चमक रही है।
Leave a Reply
Your email address will not be published. Required fields are marked *