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सैकड़ों किसानों का नोएडा प्राधिकरण पर जोरदार प्रदर्शन, मुआवजा काम देने का लगाया आरोप , वार्ता रही बेनतीजा

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Noida: किसान संघर्ष मोर्चा के नेतृत्व में सैकड़ों किसानों ने नोएडा प्राधिकरण पर जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शन कर रहे किसानों ने कहा कि गांव बेगमपुर सेक्टर-145 की लगभग 445 बीघा भूमि से प्रभावित 45 किसानों ने अब तक एक भी रुपया मुआवजा नहीं उठाया है।

आधे से भी काम मुआवजा दे रहा प्राधिकरण

वर्ष 2019 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि जिन किसानों ने मुआवजा नहीं लिया है, उन्हें नए भूमि अधिग्रहण कानून के अनुसार बाजार भाव पर मुआवजा दिया जाए। परंतु, नोएडा प्राधिकरण ने वर्ष 2024 में मुआवजा दर महज ₹2470 प्रति वर्ग मीटर तय कर दी, जबकि उसी क्षेत्र में प्राधिकरण की खुद की खरीद दर ₹5300 प्रति वर्ग मीटर है।

प्राधिकरण ने जबरदस्ती जमीन पर किया कब्जा
इतना ही नहीं, 26 अप्रैल 2025 को प्राधिकरण ने जबरन किसानों की जमीन पर कब्जा भी कर लिया। प्रभावित किसानों में से एक, संजीव चेची (एडवोकेट व किसान एकता संघ के कार्यकर्ता) को पुलिस ने उनके घर ग्राम तुगलपुर में नज़रबंद कर लिया और उनकी जमीन पर जबरन कब्जा कर लिया।

किसान एकता संघ, किसान सभा और किसान परिषद ने मिलकर किसान संघर्ष मोर्चा के नेतृत्व में आज नोएडा प्राधिकरण मुख्यालय पर प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के दौरान बार एसोसिएशन नोएडा के अध्यक्ष परमिंदर भाटी और महासचिव अजीत नगर भी किसानों के समर्थन में उपस्थित रहे।

किसान और प्राधिकरण के बीच हुई वार्ता 
वहीं किसानों के प्रतिनिधि मंडल और प्राधिकरण के अधिकारियों के बीच बैठक हुई। किसान सभा से डॉ. रुपेश वर्मा, किसान परिषद से उदल आर्य बार एसोसिएशन के अध्यक्ष परमिंदर भाटी सचिव अजीत नागर, किसान एकता संघ से सोरन प्रधान और प्राधिकरण की ओर से मुख्य कार्यपालक अधिकारी लोकेश एम., एडीएमएलए बच्चू सिंह, एसीईओ महेंद्र प्रसाद के बीच वार्ता हुई, जो कि बेनतीजा  नतीजा रही।

जानबूझकर कम दर निर्धारित की गई

 किसानों ने आरोप लगाया कि मुआवजा दर जानबूझकर कम निर्धारित की गई है, जबकि एडीएमएलए ने दावा किया कि दर "डूब क्षेत्र" के बैनामों के आधार पर तय की गई है। पीड़ित किसान संजीव चेची ने कहा कि उनकी जमीन डूब क्षेत्र में नहीं आती और बाजार भाव न्यूनतम ₹50,000 प्रति वर्ग मीटर है।

किसानों के साथ हो रहा अन्याय
सोरेन प्रधान (राष्ट्रीय अध्यक्ष, किसान एकता संघ) ने कहा कि "प्राधिकरण की तानाशाही चरम पर है। न्यूनतम ₹50,000 के बाजार भाव को नजरअंदाज कर ₹2470 का मुआवजा तय करना किसानों के साथ घोर अन्याय है।" उदल आर्य (किसान परिषद) ने कहा कि "किसान संघर्ष मोर्चा अन्याय किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगा।"

डॉ. रुपेश वर्मा (जिलाध्यक्ष, किसान सभा) ने कहा कि "नए भूमि अधिग्रहण कानून में शहरी क्षेत्र में बाजार भाव का दो गुना मुआवजा व 20% विकसित प्लॉट देने का प्रावधान है, जिसे नजरअंदाज कर किसानों को उनके अधिकार से वंचित किया जा रहा है।"
परमिंदर भाटी (अध्यक्ष, बार एसोसिएशन) ने कहा कि "यह सीधे-सीधे सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के आदेशों का उल्लंघन है, और बार एसोसिएशन पीड़ित किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है।"

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