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Mahakumbh में क्या अघोरी बाबा सच में खा रहे हैं मांस, क्या हैं इनकी साधना की विशेषता, पढ़ें

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अघोर साधुओं का जीवन रहस्यों और रहस्यवाद से भरा हुआ है. उनकी साधना, आचरण और जीवनशैली को लेकर समाज में कई मिथक और सवाल उठते हैं. सबसे चर्चित और विवादित प्रश्न यह है कि क्या अघोरी शवों का मांस खाते हैं और इसके पीछे उनका उद्देश्य क्या होता है?

क्या खाते हैं अघोरी शवों का मांस?
अघोर पंथ से जुड़े साधु मृत्यु को जीवन का अंतिम सत्य मानते हैं. श्मशान घाट उनके लिए साधना का मुख्य केंद्र होता है. यह माना जाता है कि कुछ अघोरी शवों का मांस खाते हैं, लेकिन यह उनकी साधना और आध्यात्मिक सिद्धियों का हिस्सा होता है.
उनका विश्वास है कि शव का मांस खाना मृत्यु के भय को खत्म करने और सांसारिक मोह-माया से ऊपर उठने का एक साधन है. अघोरी इसे केवल साधना के विशेष अनुष्ठानों के दौरान करते हैं, न कि किसी सामान्य आदत के रूप में.

अघोरियों की साधना की विशेषताएं

श्मशान साधना
अघोरी साधु मुख्य रूप से श्मशान घाटों पर साधना करते हैं. उनका मानना है कि श्मशान ही जीवन और मृत्यु के चक्र का प्रतीक है.

निर्विकार जीवन
अघोरी सांसारिक भोग-विलास, जाति, धर्म, और सामाजिक बंधनों से मुक्त रहते हैं. वे हर जीव और वस्तु में ईश्वर को देखने का प्रयास करते हैं.

भस्म का उपयोग
अघोरी शवदाह से निकली राख (भस्म) को अपने शरीर पर लगाते हैं. यह उनके लिए आत्मा की पवित्रता और नश्वर शरीर का प्रतीक है.

मदिरा और मांस का सेवन
अघोरी अपनी साधना के दौरान मदिरा, मांस और अन्य वर्जित माने जाने वाले पदार्थों का सेवन करते हैं. इसका उद्देश्य सांसारिक वर्जनाओं और भयों को त्यागना है.

मृत्यु को आत्मसात करना
अघोरी मृत्यु को नकारात्मकता के रूप में नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत के रूप में देखते हैं. वे शवों के साथ साधना करते हैं ताकि जीवन और मृत्यु के भेद को समझ सकें.

अघोरियों का जीवन दर्शन
अघोर पंथ का मुख्य उद्देश्य "निर्विकल्प स्थिति" को प्राप्त करना है, जहां कोई भेदभाव, भय, या वासना नहीं हो. उनका विश्वास है कि जब तक इंसान मृत्यु से डरता है, तब तक वह सच्चे ज्ञान को प्राप्त नहीं कर सकता.

समाज में अघोरियों की भूमिका
अघोरी अपने जीवन को मानव सेवा और आध्यात्मिक उत्थान के लिए समर्पित करते हैं. हालांकि उनकी साधना की विधियां समाज के लिए अजीब और असामान्य हो सकती हैं, लेकिन उनका उद्देश्य मानवता के कल्याण और आत्मा की शुद्धता है.

मिथक और सच्चाई
अघोरियों को लेकर समाज में कई मिथक हैं, जैसे कि वे खतरनाक होते हैं या उनकी साधना तंत्र-मंत्र पर आधारित होती है. लेकिन सच्चाई यह है कि अघोरी एकांत और शांति पसंद करते हैं और उनका जीवन साधना और ध्यान पर केंद्रित होता है.

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