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महाकुंभ में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की कैसे होती है गिनती ? क्राउड असेसमेंट टीम की बेस्ट AI तकनीक

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Mahakumbh 2025: प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ 2025 में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। अनुमान है कि इस बार 45 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु पवित्र संगम में स्नान करेंगे। पहले दो दिनों में ही 5 करोड़ से अधिक श्रद्धालु आ चुके हैं। ऐसे में इतने बड़े स्तर पर लोगों की सटीक गिनती करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। इसे ध्यान में रखते हुए, इस बार महाकुंभ में AI बेस्ड हाईटेक कैमरों का इस्तेमाल किया जा रहा है।

 महाकुंभ में कैसे हो रही भीड़ की गिनती 

महाकुंभ 2025 में लोगों की गिनती के लिए सरकार ने हाईटेक तकनीक का सहारा लिया है। मेला क्षेत्र में 1800 AI बेस्ड कैमरे लगाए गए हैं, जो श्रद्धालुओं की गिनती कर रहे हैं। ये कैमरे भीड़ को स्कैन कर रियल टाइम में आंकड़े उपलब्ध कराते हैं। कैमरे चेहरों को स्कैन कर यह सुनिश्चित करते हैं कि एक ही व्यक्ति की बार-बार गिनती न हो। इसके अलावा, क्राउड असेसमेंट टीम ड्रोन की मदद से भीड़ के घनत्व को माप रही है, जिससे दिनभर में कितने लोगों ने स्नान किया, इसका सटीक अनुमान लगाया जा सके।

सैटेलाइट और अन्य तकनीकों की मदद 

पहले कुंभ मेले में श्रद्धालुओं की गिनती ट्रेन, बसों और नावों की संख्या के आधार पर की जाती थी। अब भी इन साधनों को ट्रैक किया जा रहा है, लेकिन साथ ही सैटेलाइट से प्राप्त डेटा का भी उपयोग किया जा रहा है। हालांकि, सैटेलाइट गिनती में एक व्यक्ति के बार-बार मेला क्षेत्र में आने पर उसकी गिनती हर बार हो जाती थी, जिससे सटीक आंकड़े जुटाने में दिक्कत होती थी।

पुराने तरीकों से आधुनिक तकनीकों तक 

19वीं सदी में कुंभ मेले में आने वाले लोगों की गिनती हेड काउंट के जरिए की जाती थी। अंग्रेजी हुकूमत में लोगों को अलग-अलग रास्तों पर बैरिकेड लगाकर गिना जाता था। ट्रेनों की टिकटों की गिनती करके भीड़ का अनुमान लगाया जाता था। लेकिन अब जब भीड़ करोड़ों में पहुंच चुकी है, तो आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल जरूरी हो गया है। हालांकि, तकनीकी मदद से सटीक आंकड़े जुटाना मुश्किल है, फिर भी AI और हाईटेक कैमरों से मिलने वाले आंकड़े अनुमान को अधिक सटीक बनाते हैं।

महाकुंभ 2025 में यह तकनीकी पहल श्रद्धालुओं की संख्या को अधिक सटीक रूप से समझने में मदद कर रही है, जिससे प्रशासन को भीड़ प्रबंधन में सहूलियत हो रही है।

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