Pakistan का पानी रोकने की असली वजह आई सामने: भारत ने खोला पूरा प्लान, यहां पढ़ें पूरी स्टोरी

- Rishabh Chhabra
- 06 May, 2025
नई दिल्ली: पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा पाकिस्तान की ओर बहने वाली नदियों के पानी को रोके जाने की वजह सामने आ गई है। भारत सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह कदम न केवल सुरक्षा कारणों से जुड़ा है, बल्कि रणनीतिक जल प्रबंधन के व्यापक रोडमैप का हिस्सा भी है। जम्मू-कश्मीर में चेनाब नदी पर स्थित बगलिहार और सलाल जलविद्युत परियोजनाओं के जलाशयों की सीमित फ्लशिंग और डीसिल्टिंग का कार्य फिलहाल युद्ध स्तर पर किया जा रहा है। इसका उद्देश्य सर्दियों में इन जलाशयों में पानी स्टोर कर पाकिस्तान को जाने वाले प्रवाह को नियंत्रित करना है।
जलाशयों की सफाई से बढ़ेगा नियंत्रण
फ्लशिंग एक तकनीकी प्रक्रिया है, जिसमें जलाशय से जमा गाद को तेज प्रवाह के जरिए बाहर निकाला जाता है। वहीं, डीसिल्टिंग के माध्यम से तलछट को ड्रेजिंग करके हटाया जाता है। यह प्रक्रिया न केवल जलाशयों की क्षमता बढ़ाती है, बल्कि भविष्य में अधिक पानी संग्रह की संभावनाएं भी बढ़ाती है। भारत अब इस प्रक्रिया को देश के अन्य बांधों में भी लागू करने की योजना बना रहा है, ताकि पश्चिमी नदियों – सिंधु, झेलम और चेनाब – के प्रवाह को और अधिक नियंत्रित किया जा सके।
सिंधु जल संधि पर रोक, अब नहीं कोई बाध्यता
केंद्रीय जल आयोग के पूर्व अध्यक्ष कुशविंदर वोहरा के अनुसार, चूंकि भारत ने सिंधु जल संधि पर फिलहाल रोक लगा दी है, इसलिए भारत अब उसके प्रावधानों से बंधा नहीं है। इसका मतलब है कि भारत बिना किसी अंतरराष्ट्रीय दबाव के अपनी परियोजनाओं पर काम कर सकता है। जलाशयों की फ्लशिंग, अल्पकालिक रणनीतियों में शामिल है, जबकि निर्माणाधीन पनबिजली परियोजनाएं जैसे पाकल दुल (1000 मेगावाट), रतले (850 मेगावाट), किरू (624 मेगावाट) और क्वार (540 मेगावाट) मध्यम अवधि की रणनीतियों का हिस्सा हैं।
किशनगंगा से रोका गया पानी, बढ़ेगा बिजली उत्पादन
भारत ने किशनगंगा परियोजना से नौ क्यूसेक पानी के प्रवाह को रोकने का फैसला पहले ही ले लिया था। इसका इस्तेमाल अब भारत अपनी बिजली उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए करेगा। इससे जम्मू-कश्मीर में ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। साथ ही यह कदम पाकिस्तान को पानी की आपूर्ति को लेकर भारत की नई नीति का हिस्सा भी है।
दीर्घकालिक योजनाओं से बढ़ेगी जलधारण क्षमता
भारत ने अपने जल संसाधनों को लेकर दीर्घकालिक रणनीति भी तैयार की है। इसके तहत चार नई पनबिजली परियोजनाएं पाइपलाइन में हैं। इन परियोजनाओं के पूरा होने के बाद भारत की जलविद्युत क्षमता लगभग 10,000 मेगावाट से अधिक हो जाएगी। साथ ही जल भंडारण क्षमता में भी कई गुना वृद्धि होगी।
तुलबुल परियोजना फिर से शुरू होगी
भारत की योजना में झेलम नदी पर रुकी हुई तुलबुल परियोजना को दोबारा शुरू करना भी शामिल है। इसके अलावा वुलर झील और झेलम नदी पर बाढ़ प्रबंधन को सशक्त करने के लिए काम किया जाएगा। जम्मू क्षेत्र में पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए रणबीर और प्रताप नहरों की क्षमता का भी पूर्ण उपयोग किया जाएगा।
पाकिस्तान की ओर बहने वाले जल प्रवाह को नियंत्रित करने की भारत की यह नई रणनीति केवल जवाबी कार्रवाई नहीं है, बल्कि यह एक दीर्घकालिक योजना का हिस्सा है, जिसमें जल, बिजली और सुरक्षा – तीनों पहलुओं को ध्यान में रखा गया है। भारत अब अपने जल संसाधनों का प्रयोग पूरी तरह से अपने हितों के अनुसार करने की दिशा में आगे बढ़ चुका है।
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