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Politics: जाति टिप्पणी से सपा की 'दलित राजनीति' पर संकट: रामगोपाल यादव के बयान से बढ़ी अखिलेश की मुश्किलें

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ऑपरेशन सिंदूर में शामिल एयर विंग कमांडर व्योमिका सिंह को लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव की जातिसूचक टिप्पणी सियासी बवंडर बन गई है। जहां एक ओर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ‘पीडीए’ (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) फॉर्मूले से दलित वोटबैंक साधने की रणनीति में जुटे हैं, वहीं उनके चाचा रामगोपाल का बयान पार्टी के मिशन दलित को पटरी से उतार सकता है।

‘चमार’ कहकर किया संबोधित 
 
रामगोपाल यादव ने मुरादाबाद के बिलारी क्षेत्र में एक जनसभा में ऑपरेशन सिंदूर में शामिल अफसरों का जातिगत उल्लेख करते हुए विंग कमांडर व्योमिका सिंह को “हरियाणा की जाटव, चमार” कह दिया। उन्होंने यह भी कहा कि यह युद्ध एक मुसलमान (सोफिया कुरैशी), एक दलित (व्योमिका सिंह) और एक यादव (एयर मार्शल एके भारती) ने लड़ा, जिससे पीडीए की ताकत दिखती है।

सियासी विरोधियों को मिला मौका

रामगोपाल के इस बयान पर बीजेपी और बसपा दोनों ने सपा को घेरना शुरू कर दिया है। बीजेपी नेता व उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने सपा को 'महिला विरोधी' और 'दलित अपमान' की पार्टी करार दिया। वहीं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सेना की वर्दी को जातिवादी चश्मे से नहीं देखा जाता और सपा की सोच देश की एकता को नुकसान पहुंचाती है।

मायावती का तीखा वार

बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी रामगोपाल यादव के बयान की तीखी निंदा करते हुए कहा कि यह टिप्पणी सेना की गरिमा और राष्ट्रीय एकता को चोट पहुंचाने वाली है। उन्होंने कहा कि सेना में जाति और धर्म की बात करना शर्मनाक है।

अखिलेश की रणनीति पर खतरा

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने 2024 के लोकसभा चुनाव में पीडीए फॉर्मूले के सहारे 37 सीटें जीतकर मजबूत उपस्थिति दर्ज की थी। अब पार्टी का फोकस 2027 के विधानसभा चुनावों पर है, जिसके लिए दलित समाज को साधने की रणनीति पर काम चल रहा था। बसपा से जुड़े नेताओं जैसे दद्दू प्रसाद और रामजीलाल सुमन को सपा में लाकर अखिलेश ने यह संकेत दिए थे कि वे दलितों को सपा के साथ लाना चाहते हैं।

दलित वोटबैंक में सेंध का डर

रामगोपाल यादव की टिप्पणी के बाद सपा के खिलाफ एससी/एसटी एक्ट के तहत केस दर्ज करने की मांग हो रही है। दलित समाज के लोग भी 'चमार' शब्द के इस्तेमाल से आहत हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बयान सपा की 'दलित हितैषी' छवि को नुकसान पहुंचा सकता है और बसपा को फिर से दलित वोटों में सेंध लगाने का मौका दे सकता है।

सपा के लिए बड़ा सियासी नुकसान?

रामगोपाल यादव का बयान ऐसे समय आया है जब अखिलेश यादव पार्टी की जातीय छवि बदलकर समावेशी नेतृत्व का संदेश देना चाहते हैं। पर अब विरोधियों को यह कहने का मौका मिल गया है कि सपा सिर्फ वोट के लिए दलितों को साथ लाना चाहती है, उनके सम्मान की परवाह नहीं करती।

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