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UP ने निकाली तुर्की-अजरबैजान की हेकड़ी, कर दिया एक झटके में इतना नुकसान, पढ़ें एक क्लिक में

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लखनऊ। पाकिस्तान के समर्थन में खड़े होने की कीमत अब तुर्की और अज़रबैजान को भारी पड़ी। भारत-पाक तनाव के बीच इन दोनों देशों के पाकिस्तान के साथ आने से यूपी ने इन पर सख्त व्यापारिक रुख अपनाया है। नतीजा यह है कि तुर्की और अज़रबैजान को अकेले यूपी से करीब 32,000 करोड़ रुपये तक का व्यापारिक नुकसान होने का अनुमान है।

घरेलू पर्यटन को प्राथमिकता

यूपी के लोगों ने अब विदेशी टूर पैकेजों को छोड़कर घरेलू पर्यटन स्थलों की ओर रुख किया है। खासकर पूर्वांचल के जिलों जैसे वाराणसी, गोरखपुर, आजमगढ़ और मऊ से हर साल हजारों लोग तुर्की और अज़रबैजान की यात्रा करते थे। लेकिन अब हालात बदल चुके हैं।

ऑल इंडिया टूरिस्ट फेडरेशन के नेशनल कोऑर्डिनेटर अजय सिंह ने बताया कि "नेशन फर्स्ट" मुहिम के तहत अब हिमाचल के किन्नौर जैसे डेस्टिनेशन को प्रमोट किया जा रहा है। बाकू की तरह किन्नौर भी सुंदर प्राकृतिक स्थल है और इसका खर्च भी कम है।

पर्यटन में 2,000 करोड़ का घाटा

पर्यटन विशेषज्ञों का कहना है कि तुर्की और अज़रबैजान को अकेले यूपी से करीब 2,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। अब तक 18,000 से अधिक टूर पैकेज कैंसिल हो चुके हैं और अगस्त तक यह आंकड़ा 25,000 तक पहुंच सकता है।

वाराणसी टूरिज्म गिल्ड के सदस्य राशिद खान का दावा है कि किन्नौर का विकल्प तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। पिछले एक हफ्ते में ही 15,000 से अधिक टूर पैकेज रद्द हुए हैं, और दो दिनों में 2,000 से ज्यादा लोगों ने किन्नौर का पैकेज बुक किया है।

व्यापार पर गिरी गाज

केवल पर्यटन ही नहीं, यूपी ने इन दोनों देशों से आने वाले फलों, मसालों और अन्य वस्तुओं का भी व्यापक बहिष्कार शुरू कर दिया है। कानपुर की नवीन फल मंडी में व्यापारियों ने तुर्की और चीन से आने वाले सेब व सूखे मेवों की बिक्री बंद कर दी है।

मसालों के व्यापार में भी असर दिखने लगा है। 150 करोड़ रुपये से अधिक के ऑर्डर रद्द हो चुके हैं। कारोबारी विश्वनाथ अग्रवाल के अनुसार, इन उत्पादों की मांग अधिक थी लेकिन अब "देशहित पहले" की भावना ने व्यापार का रुख बदल दिया है।

अज़रबैजान की अर्थव्यवस्था पर असर

अज़रबैजान की राजधानी बाकू में हर साल हजारों भारतीय सैलानी जाते हैं, जिनमें यूपी का बड़ा हिस्सा है। अज़रबैजान की जीडीपी में पर्यटन का योगदान 15% है और इसमें से 70% पर्यटक भारत से जाते हैं। इस प्रतिबंध के चलते वहां की अर्थव्यवस्था को गहरा झटका लगना तय है।

तुर्की के बाजार को भारी नुकसान

तुर्की से यूपी में हर साल 1000 करोड़ रुपये से अधिक के उत्पाद आते हैं, जिनमें कालीन, सिल्क, लिनेन, सेब और खास मसाले शामिल हैं। अब व्यापारियों ने इन उत्पादों से दूरी बना ली है।

राष्ट्रहित में व्यापारिक फैसला

यूपी के व्यापारियों और पर्यटन सेक्टर से जुड़े लोगों का मानना है कि जो देश भारत के दुश्मनों का साथ देते हैं, उनके साथ कोई व्यापारिक रिश्ता रखना उचित नहीं। यह मुहिम न केवल घरेलू उद्योग और पर्यटन को बढ़ावा दे रही है, बल्कि विदेश नीति के स्तर पर एक सशक्त संदेश भी भेज रही है।

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