UP की सियासत में DNA का 'तड़का', गरमाई 'वंशवाद बनाम राष्ट्रवाद' की जंग

- Rishabh Chhabra
- 19 May, 2025
उत्तर प्रदेश की राजनीति में इन दिनों ‘डीएनए’ शब्द ने एक बार फिर से सियासी ताप बढ़ा दिया है. इस बार जंग समाजवादी पार्टी (सपा) और बीजेपी के डिप्टी सीएम बृजेश पाठक के बीच छिड़ी है. बृजेश पाठक द्वारा सपा नेताओं के डीएनए टेस्ट कराने की बात कहने के बाद बयानबाजी का दौर तेज हो गया है. यह विवाद 2015 के उस दौर की याद दिला रहा है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार के सीएम नीतीश कुमार के बीच डीएनए को लेकर जबरदस्त सियासी भिड़ंत हुई थी.
बिहार से शुरू हुई थी डीएनए की सियासत
2015 के बिहार विधानसभा चुनावों के दौरान पीएम मोदी ने नीतीश कुमार की आलोचना करते हुए उनके "डीएनए में गड़बड़ी" की बात कही थी. इस टिप्पणी को नीतीश ने बिहार की अस्मिता से जोड़कर चुनावी मुद्दा बना दिया था. उन्होंने राज्यभर से लोगों के बाल और नाखून इकट्ठा कर पीएम को भेजने का फैसला किया था, जिसे PMO ने स्वीकार नहीं किया. तब नीतीश ने इसे बिहारियों का अपमान बताते हुए जोरदार जवाब दिया था और इस बयान ने बीजेपी को भारी नुकसान पहुंचाया.
यूपी में ‘डीएनए वॉर’ की नई किस्त
अब वही ‘डीएनए वॉर’ उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बीजेपी के बीच नया रूप ले चुका है. बृजेश पाठक ने हाल ही में एक सार्वजनिक मंच से सपा नेताओं के डीएनए टेस्ट की बात कही, ताकि यह साबित हो सके कि वे किस हद तक वंशवाद और परिवारवाद में लिप्त हैं. इस बयान पर सपा ने तीखी प्रतिक्रिया दी. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पोस्ट के ज़रिए पाठक को मर्यादा में रहने की नसीहत दी.
पोस्ट बनाम पोस्ट: सोशल मीडिया पर संग्राम
अखिलेश के पोस्ट के बाद जहां यह लगा कि विवाद शांत हो जाएगा, वहीं बृजेश पाठक ने लगातार दो और पोस्ट करके समाजवादी पार्टी पर हमला तेज कर दिया. उन्होंने सपा नेताओं को 'शिशुपाल' कहकर संबोधित किया और पार्टी की विचारधारा पर सवाल उठाए. पाठक ने लिखा कि डीएनए में खराबी से उनका मतलब किसी व्यक्ति से नहीं, बल्कि पार्टी की राजनीतिक सोच से है.
‘बाबर का डीएनए’ और नए विवाद
इससे पहले भी डीएनए से जुड़ा विवाद तब बढ़ा जब सीएम योगी आदित्यनाथ ने बांग्लादेशी मुसलमानों की तुलना बाबर से की थी. उन्होंने कहा था कि बांग्लादेश और संभल का डीएनए एक जैसा है. इस पर विपक्षी नेताओं ने तीखा हमला किया. राज्यसभा में सपा सांसद रामजीलाल सुमन ने सवाल उठाया कि जब मुसलमानों में बाबर का डीएनए बताया जाता है तो बीजेपी नेताओं में किसका डीएनए है?
वंशवाद बनाम राष्ट्रवाद की बहस
बीजेपी जहां सपा पर वंशवाद की राजनीति का आरोप लगाकर राष्ट्रवाद की पैरवी कर रही है, वहीं सपा इसे सामाजिक न्याय और लोकतंत्र पर हमला मान रही है. डीएनए को प्रतीक बनाकर दोनों ही दल एक-दूसरे की राजनीतिक सोच को निशाना बना रहे हैं. इससे साफ है कि 2024 के चुनावों की तैयारी में अब 'डीएनए पॉलिटिक्स' एक बार फिर मुख्य मुद्दा बनकर उभर सकती है.
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