Vrindavan: ब्रज के गौरव को नयी पहचान: वृंदावन के सप्त देवालयों को जोड़ने वाला कॉरिडोर, कृष्णा घाट का होगा विकास

- Rishabh Chhabra
- 21 May, 2025
उत्तर प्रदेश सरकार ने ब्रज क्षेत्र के समग्र विकास के लिए ‘विजन 2030’ के तहत कई बड़ी योजनाओं की शुरुआत की है. ठाकुर बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर के साथ-साथ अब वृंदावन के ऐतिहासिक सप्त देवालयों पर भी विशेष ध्यान केंद्रित किया जा रहा है. सरकार का उद्देश्य है कि ब्रज की आध्यात्मिक विरासत को संरक्षित करते हुए उसे वैश्विक स्तर पर प्रमोट किया जाए.
हरिद्वार की तर्ज पर कृष्णा पौड़ी का विकास
कॉरिडोर के आसपास लगभग डेढ़ किलोमीटर क्षेत्र में हरिद्वार की राम की पौड़ी की तर्ज पर एक भव्य ‘कृष्णा पौड़ी’ विकसित की जाएगी. यह स्थान न केवल श्रद्धालुओं को स्नान व पूजा का अनुभव देगा, बल्कि वृंदावन के धार्मिक पर्यटन में भी इजाफा करेगा. पौड़ी का सौंदर्यीकरण स्थानीय संस्कृति और आध्यात्मिकता को दर्शाते हुए आकर्षण का केंद्र बनेगा.
सप्त देवालयों तक पहुंच को सरल बनाएगा नया सर्किट
ब्रज तीर्थ विकास परिषद द्वारा पास की गई 18 करोड़ की योजना में वृंदावन के सप्त देवालयों को जोड़ने वाला ‘सर्किट एप्रोच मार्ग’ विकसित किया जाएगा. राधा रमण, मदन मोहन, गोकुलानंद, राधा दामोदर, श्याम सुंदर, गोविंद देव और गोपीनाथ देव जैसे प्राचीन मंदिर इस सर्किट से जुड़े होंगे. यह मार्ग श्रद्धालुओं को सहज दर्शन की सुविधा देगा और मंदिरों तक पहुंचना अब पहले से अधिक सरल होगा.
बांके बिहारी कॉरिडोर से सीधा संपर्क
तीन किलोमीटर लंबे इस एप्रोच मार्ग को सीधे ठाकुर बांके बिहारी कॉरिडोर से जोड़ा जाएगा. इससे श्रद्धालुओं को एक समेकित यात्रा अनुभव मिलेगा. जहां अब तक अधिकतर श्रद्धालु बांके बिहारी और इस्कॉन मंदिर तक ही सीमित रहते थे, वहीं इस मार्ग के निर्माण से सप्त देवालयों में भी श्रद्धालुओं की आवाजाही बढ़ेगी.
परिक्रमा मार्ग और रिवर फ्रंट का भी होगा सौंदर्यीकरण
विजन 2030 के अंतर्गत मथुरा-वृंदावन परिक्रमा मार्ग को भी नया रूप देने की योजना है. साथ ही यमुना रिवर फ्रंट का सौंदर्यीकरण कर उसे एक आकर्षक धार्मिक स्थल के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा. इससे वृंदावन न केवल श्रद्धालुओं बल्कि पर्यटकों के लिए भी एक प्रमुख आकर्षण बन जाएगा.
संस्कृति, श्रद्धा और पर्यटन का संगम
सरकार की इस पहल से न केवल वृंदावन की प्राचीन धरोहरों को संरक्षित किया जाएगा, बल्कि क्षेत्रीय पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी गति मिलेगी. अब देखना है कि ये योजनाएं ज़मीन पर कब तक उतरती हैं और श्रद्धालुओं को कब तक इनका लाभ मिलना शुरू होता है
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