https://nownoida.com/uploads/images/ads/head2.jpg

Barabanki: अब पढ़िए उर्दू शायरी में रची रामायण: बाराबंकी के विनय बाबू ने 14 साल में लिखा 'विनय रामायण'

top-news
https://nownoida.com/uploads/images/ads/head1.png

14 वर्षों की कड़ी मेहनत के बाद बाराबंकी के विनय बाबू ने उर्दू में रामायण का भावानुवाद। "विनय रामायण" लिखा है। 500 पन्नों का ग्रंथ 24 खंडों में विभाजित है, जिसमें 7000 से ज़्यादा शेर शामिल हैं।उन्होंने अयोध्या और प्रयागराज जैसी जगहों की यात्रा कर शोध को पूरा किया और उर्दू शायरी के माध्यम से रामायण के भावों को जीवंत किया है।
 
उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के छोटे से गांव असगरनगर मजीठा के रहने वाले विनय बाबू ने एक अनोखा और ऐतिहासिक काम किया है। 14 वर्षों की मेहनत और साधना के बाद उर्दू भाषा में रामायण का भावानुवाद तैयार किया है, जिसका नाम है 'विनय रामायण'। यह ग्रंथ 500 पन्नों में फैला हुआ है और 24 खंडों में विभाजित है। हर खंड में करीब 7000 शेर शामिल हैं, जो भगवान राम के चरित्र और जीवन प्रसंगों का शायरी के अंदाज में गुणगान करते हैं।

बचपन का लगाव बना जुनून

जूनियर हाईस्कूल तक शिक्षा प्राप्त विनय बाबू को उर्दू भाषा और शेरो-शायरी का शौक बचपन से था। स्कूल आते-जाते उन्होंने कुछ बुजुर्गों से उर्दू के लफ्ज़ सुने थे। यही लफ्ज उनके दिल में उतरते चले गए और फिर धीरे-धीरे जुनून बन गए। विनय बाबू कहते हैं कि उन्होंने काफी रिसर्च किया, लेकिन पता चला कि उर्दू में संपूर्ण रामायण कहीं भी उपलब्ध नहीं है।  फिर उन्होंने फैसला किया कि रामायण को जन-जन तक पहुंचाने के लिए इसे उर्दू भाषा में तो होना ही चाहिए। 

गहराई से किया शोध और यात्राएं

अपनी रचना को सटीक और भावपूर्ण बनाने के लिए विनय बाबू ने अयोध्या, प्रयागराज, और हिमालय तक की यात्राएं कीं है। उन्होंने विभिन्न स्थानों पर जाकर शोध किया और रामायण के प्रसंगों को उर्दू शायरी की भाषा में ढालकर जीवंत कर दिया। उन्होंने बताया कि यह ग्रंथ किसी भी मौलिक संस्कृत अनुवाद का शाब्दिक संस्करण नहीं है, बल्कि इसका स्वरूप भावानुवाद का है, जिसमें शायरी के माध्यम से रामायण के प्रसंगों को सहज रूप से प्रस्तुत किया गया है। इसे पढ़ते समय पाठकों को रस मिलेगा और श्रीराम चरित मानस की तरह ही इसमें भी लोग डूबते जाएंगे।

एक प्रेरणादायक मिसाल

विनय बाबू के मुताबिक इस लक्ष्य को हासिल करना आसान काम नहीं था। अपने ग्रंथ में सटीकता लाने के लिए उन्हें अयोध्या, प्रयागराज यहां तक कि हिमालय तक की यात्राएं करनी पड़ीं। इस दौरान कई बार मुश्किलें आईं, आर्थिक संकट आए, लेकिन जुनून के आगे सब कुछ फीका पड़ गया। अब उनकी इच्छा है कि उनके ग्रंथ का लोकार्पण राज्यपाल के हाथों हो। शायर अजीज बाराबंकवी के शागिर्द रहे विनय अब महाभारत के भावानुवाद की ओर कदम बढ़ा चुके हैं।

https://nownoida.com/uploads/images/ads/head1.png

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *