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Mahakumbh का अखाड़ा शब्द का क्या हैं मुगलिया कनेक्शन, सब कुछ जानें बस एक क्लिक में

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महाकुंभ में नागा साधुओं की उपस्थिति हमेशा से ही जिज्ञासा का विषय रही है। ये साधु महाकुंभ में विशेष रूप से दिखाई देते हैं और फिर अचानक गायब हो जाते हैं। उनके रहस्यमयी जीवन के बारे में अधिकतर लोग अनभिज्ञ हैं। नागा साधुओं के कुल 13 अखाड़े हैं, जिनमें से 7 अखाड़ों में उन्हें कठिन ट्रेनिंग दी जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि 'अखाड़ा' शब्द का असल मतलब क्या है और यह शब्द कहां से आया?

नागा साधुओं की रहस्यमयी उपस्थिति

महाकुंभ या कुंभ में सबसे पहले स्नान के लिए नागा साधुओं की टोली आती है। धुनि और राख से लिपटे शरीर, माथे पर टीका और दिगंबर या श्रीदिगंबर वेशभूषा में ये साधु अपने विशिष्ट रूप के कारण लोगों का ध्यान आकर्षित करते हैं। इन साधुओं का जीवन रहस्यमयी है और महाकुंभ के बाद वे कहां जाते हैं, यह रहस्य बना रहता है। महामंडलेश्वरों के अनुसार, ये नागा साधु प्रयागराज, काशी, उज्जैन, हिमालय की कंदराओं और हरिद्वार के दूर-दराज इलाकों में निवास करते हैं और तपस्या में लीन रहते हैं।

नागा साधुओं की ट्रेनिंग

नागा साधु बनने की प्रक्रिया महाकुंभ, अर्द्धकुंभ और सिंहस्थ कुंभ के दौरान शुरू होती है। नागा साधुओं की ट्रेनिंग किसी कमांडो ट्रेनिंग से कम नहीं होती। उनके कुल 13 अखाड़ों में से 7 अखाड़े—जूना, महानिर्वाणी, निरंजनी, अटल, अग्नि, आनंद, और आह्वान—नागा साधु बनने की कठिन ट्रेनिंग प्रदान करते हैं।

अखाड़ा शब्द की उत्पत्ति

'अखाड़ा' शब्द का उत्पत्ति मुगल काल से माना जाता है। इसके पहले साधुओं के समूह को 'बेड़ा' या 'जत्था' कहा जाता था। 'अखाड़ा' शब्द साधुओं के उस दल को संदर्भित करता है जो शास्त्र विद्या में निपुण होते हैं और एक जैसे नियमों का पालन करते हुए तपस्या करते हैं। यह शब्द मुगलकालीन सैन्य संगठन के संदर्भ में विकसित हुआ था, जहां युद्ध कौशल के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जाता था।

 नागा साधुओं की पदवी और संप्रदाय 

'नागा' एक पदवी है, जो वैष्णव, शैव, और उदासीन तीन प्रमुख सम्प्रदायों के भीतर विभाजित होती है। हर सम्प्रदाय के साधुओं के अलग-अलग अखाड़े होते हैं। इनमें से अधिकांश निर्वस्त्र नागा साधु शैव अखाड़ों से आते हैं। यह आम धारणा है कि नागा का मतलब नग्न होता है, लेकिन वस्त्रधारी भी नागा साधु हो सकते हैं। नागा साधुओं को उनके तपस्वी जीवन और कठोर अनुशासन के लिए जाना जाता है।

नागा साधुओं का रहस्यमयी जीवन और उनका अखाड़ों से संबंध महाकुंभ में लोगों के आकर्षण का केंद्र बनता है। उनका कठोर जीवन और साधना सनातन धर्म की पुरातन परंपराओं को जीवित रखते हुए आज भी अनेक भक्तों को प्रेरित करता है।

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