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बिजली के निजीकरण के खिलाफ भारतीय किसान संगठन का विरोध-प्रदर्शन, सीएम को भेजा 7 सूत्री मांग पत्र

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Noida: नोएडा सेक्टर 19 सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय पर भारतीय किसान संगठन के मंडल सचिव सुरेन्द्र वशिष्ठ के नेतृत्व में बिजली के निजीकरण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया गया. वहीं, जिलाधिकारी के माध्यम से सीएम योगी के नाम ज्ञापन भी सौंपा गया. विरोध प्रदर्शन में किसान बिजली बांध हमारे हैं, हम इन्हें नहीं बिकने देंगे, ये खंभे तार हमारे हैं, हम इन्हें नहीं बिकने देंगे. सस्ती बिजली, सस्ता पानी इससे जुड़ी है मजदूर-किसानी जैसे नारे लगाते रहे.

योगी सरकार तानाशाह

सुरेन्द्र वशिष्ठ ने कहा कि उत्तर-प्रदेश सरकार द्वारा बिजली के निजीकरण का फैसला किसान ही नहीं तमाम मेहनतकश जनता के खिलाफ है. खुद बिजली कर्मचारी लम्बे समय से इसके खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं लेकिन आम उपभोक्ता, मजदूर किसान, कर्मचारी किसी की बात सुनने के बजाय प्रदेश की योगी सरकार तानाशाह की तरह विरोध की हर आवाज को खामोश करने पर आमादा है.

वादे से मुकर रही योगी सरकार

अपने पूंजीपति मित्रों के मुनाफे के लिए मोदी सरकार ने 2020 तक बिजली कानून में तीन बार संशोधन किये थे. दिल्ली की सीमाओं पर चले ऐतिहासिक किसान आन्दोलन ने इन संशोधनों को रद्द करने की मांग की थी और 13 महीनों के बाद मोदी सरकार ने किसान संगठनों से वादा किया था कि किसानों से मशविरा किये बगैर बिजली कानून में कोई संशोधन नहीं करेगी. लेकिन झूठे की जबान कौन पकड़े, सरकार अपने वादे से मुकर गयी और 2022 में कानून में बदलाव करके राज्य सरकारों को बिजली के पूरे निजीकरण का निर्देश दे दिया है.

सीएम को भेजा 7 सूत्री मांग पत्र

भारतीय किसान संगठन ने अपने ज्ञापन में 7सूत्री मांग रखी है. उत्तर प्रदेश में दक्षिणांचल और पूर्वांचल वितरण निगमों के निजीकरण पर पूर्ण रोक लगे. सभी ग्रामीण उपभोक्ताओं को हर महीना 300 यूनिट बिजली मुफ्त दी जाए. योगी सरकार अपने चुनावी वादे को पूरा करे और ट्यूबवेलों को मुफ्त बिजली दे. स्मार्ट मीटर योजना रद्द की जाए. किसानों के ट्यूबवेलों को 18 घंटे बिना शर्त बिजली की आपूर्ति की जाए. कनेक्शन चार्ज, लाइन, ट्रांसफार्मर, बिलिंग मीटर, कनेक्शन काटने व जोड़ने, तमाम अधिभार आदि उपभोक्ताओं से वसूलना बन्द किया जाए. निजी कंपनियों से महंगी बिजली खरीदना बंद किया जाए. बिजली विभाग में कर्मचारियों पर थोपी गयी श्रमिक विरोधी नयी सेवा नियमावली वापस लिया जाए. सभी संविदा कर्मियों को नियमित किया जाए. इस मौके पर दीपू, पूरण, मुकेश,राजेश, रहीसुद्दीन, विकास, विष्णु आदि उपस्थित थे.

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