Mathura: आखिर क्यों प्रेमानंद महाराज की बात से भावुक हुए डिप्टी CM ब्रजेश पाठक! यहां पढ़ें

- Rishabh Chhabra
- 05 Jun, 2025
यूपी के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक बांके बिहारी का दर्शन करने के बाद प्रेमानंद जी महाराज का आशीर्वाद लेने पहुंचे। प्रेमानंद जी ने भगवत प्राप्ति के मार्ग पर प्रकाश डाला, कर्तव्यनिष्ठा और ईश्वर स्मरण को इसका मुख्य आधार बताया।
उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक बुधवार को अपनी पत्नी नम्रता पाठक के साथ बांके बिहारी मंदिर पहुंचकर दर्शन और पूजन किया। इसके बाद उन्होंने प्रसिद्ध संत प्रेमानंद जी महाराज से मुलाकात की और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। इस मुलाकात के दौरान महाराज ने डिप्टी सीएम को जो उपदेश दिए, वो न सिर्फ उन्हें, बल्कि हर जिम्मेदार नागरिक को सोचने पर मजबूर कर देते हैं।
प्रेमानंद जी महाराज के उपदेश
प्रेमानंद जी महाराज ने डिप्टी सीएम को बताया कि हमारा मनुष्य जन्म केवल भगवत प्राप्ति के लिए हुआ है, दुर्लभो मानुषो देहो शास्त्रों में जो दुर्लभता कही गई है। वह इसलिए कही गई कि "साधन धाम मोक्ष कर द्वारा पाए न जे परलोक समारा सो परत्र दुख पावई सिर धुन धुन पछताए कालह कर्म ईश्वर मिथ्या दोष लगाए" प्रेमानंद जी महाराज ने कहा कि भगवत प्राप्ति कैसे होगी. जब भी हमारे मन में आता है कि भगवत प्रप्ति कैसे होगा तो सबसे पहले हमारे दिमाग में आता है कि भगवत प्राप्ति का मतलब है कोई साधु-महात्मा बन जाना या एकांत में बैठकर माला जपना लेकिन ऐसा नहीं है।
कैसे होगी भगवत प्राप्ति?
महाराज ने बताया कि हम जो कर्तव्य कर्म कर रहे हैं उसे ईमानदारी से करें और नाम जप करें यहीं भगवत प्राप्ति है। दो बातें भगवान ने आदेश की हैं। भगवत प्राप्ति का अर्थ स्पष्ट है – न तो सन्यास लेना ज़रूरी है, न ही एकांत में बैठकर माला जपना। भगवत प्राप्ति का सबसे सच्चा मार्ग है – अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करते हुए भगवान का स्मरण करते रहना।
महाराज ने श्रीमद्भगवद्गीता के माध्यम से बताया कि भगवान ने स्वयं अर्जुन से कहा – "माम अनुस्मर युद्ध च" यानी भगवान का स्मरण करते हुए अपने कर्म करो। समाज सेवा, राष्ट्र सेवा – ये भी युद्ध हैं, जिन्हें भगवत स्मरण के साथ किया जाए तो वही सच्चा साधन बन जाते हैं।
प्रलोभन और भय, दो सबसे बड़े शत्रु
प्रेमानंद जी महाराज ने बताया कि जीवन में प्रलोभन और भय दो ऐसे तत्व हैं जो मनुष्य को पतन की ओर ले जाते हैं। उन्होंने कहा कि “भय किसी से नहीं होना चाहिए और प्रलोभन से बचना चाहिए। जो विधाता ने रच दिया है, उससे इतर कुछ भी नहीं हो सकता।"
उन्होंने एक गहरी बात कही, जिससे डिप्टी सीएम भी भावुक हो गए – “जो विधाता ने रच दिया है, छठे राव के अंक राई घटे न तिल बड़े।” यानी भाग्य में जो लिखा है, वही होकर रहेगा।
ये अंतिम पद तो नहीं…
प्रेमानंद जी महाराज ने डिप्टी सीएम से कहा “ये अंतिम पद तो नहीं”, यानी यह पद सत्ता का अंतिम पड़ाव नहीं है। उन्होंने संकेत दिया कि जीवन में सबसे बड़ा लक्ष्य भगवत प्राप्ति होनी चाहिए, पद और प्रतिष्ठा तो केवल माध्यम हैं। किसी से डरना नहीं चाहिए और कोई प्रलोभन नहीं रखना है और जो विधान मेरे प्रभु ने रच दिया है। वह वही विधान भगवान जो करते हैं, उसके विपरीत कुछ भी करने की किसी के पास ताकत नहीं।
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