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Noida: 10 साल पहले गायब हुए बच्चे को पुलिस ने परिवार से मिला, बेटे के मिलने की आस छोड़ चुके परिजन खुशी से हुए गदगद, ये था पूरा मामला

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नोएडा के थाना फेस 2 इलाके में एक परिवार की खुशी उस वक्त दोगुनी हो गई. जब उन्होंने 10 साल पहले खो चुके अपने बेटे को अपनी आंखों के सामने सकुशल देखा. माता-पिता की मानें तो वे अपने बेटे को एक बार फिर से देख पाने की सारी उम्मीदें खो चुके थे. मगर पुलिस की भरकस कोशिशों ने उन्हें उनके लाल से मिला दिया. 

मूलरूप से मैनपुरी के पलिया गांव के रघुवीर मिश्रा पत्नी अनीता व दो बेटे अंशुल एवं हिमांशु संग नोएडा के गेझा गांव में किराये पर रहते थे. रघुवीर सेक्टर 108 के एक भवन में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करता था. छह नवंबर 2015 को स्कूल जाते समय सात वर्षीय छोटे बेटे हिमांशु(कक्षा दो) को राजमिस्त्री का काम करने वाले मंगल कुमार उर्फ मंगलदास ने अगवा कर लिया था. मूलरूप से मंगल कानपुर का रहने वाला था और दिल्ली के बदरपुर में किराए का मकान लेकर रह रहा था।

मंगल के कोई बच्चा नहीं था. पत्नी का भी देहांत हो चुका था. अकेलेपन से बचने के लिए उसने हिमांशु का अपहरण कर लिया और साढ़े आठ साल अपने साथ बदरपुर किराए के मकान पर रखा. यही नहीं उसका नाम बदलपुर प्रियांशु रख दिया. वहीं पुलिस और स्वजन के सात साल तक काफी प्रयास के बाद भी हिमांशु जब नहीं मिला तो केस में फाइनल रिपोर्ट लगा दी गई थी. करीब चार माह पहले रघुवीर भी परिवार संग मैनपुरी चले गए. वहीं डेढ़ साल पहले मंगलदास ने हिमांशु को अपने बड़े भाई राजू को सौंप दिया. बीती 28 मई को मंगलदास ने सूरजकुंड से एक अन्य सात वर्षीय बच्चे का अपहरण कर लिया लेकिन सीसीटीवी कैमरे में कैद हो जाने की वजह से पकड़ा गया. जिसके बाद मंगल ने पुलिस को हिमांशु के अपहरण की कहानी भी बताई।

पुलिस सोमवार रात को हिमांशु को लेकर नोएडा के गेझा गांव आई. जहां पर सुरक्षा गार्ड का बड़ा बेटा अपने चाचा के साथ रह रहा था. उनसे हिमांशु को मिलवाया गया तो उन्होंने उसकी पहचान कर ली. मंगलवार सुबह मैनपुरी से सुरक्षा गार्ड और उनकी पत्नी भी बेटे से मिलने नोएडा पहुंचे. कद काठी व चेहरे का हुलिया बदला हुआ था लेकिन माता-पिता ने भी अपने बेटे को पहचान लिया. इतने लंबे समय बाद बेटे को पाकर पूरा परिवार फफक कर रो पड़ा. वे बच्चे के मिलने की आस छोड़ चुके थे. हिमांशु को सकुशल बरामद करने के बाद फरीदाबाद पुलिस ने नोएडा फेज दो थाना पुलिस से संपर्क किया.

2015 में थाना क्षेत्र से लापता हुए बच्चों की जानकारी जुटाई गई लेकिन प्रियांशु नाम के किसी बच्चे के लापता होने की जानकारी नहीं मिली. ऐसे में जब बच्चे से जानकारी की गई तो उसने अपना नाम हिमांशु होना बताया. इससे हिमांशु के स्वजन तक जानकारी पहुंची. 2015 में हुई एफआईआर पर नंबर रघुवीर के भतीजे संतोष दुबे का था. पुलिस ने हिमांशु के मिलने के बारे में जब उसे बताया तो वह चौंक गया. उन्होंने यह जानकारी रघुवीर को दी. स्वजन ने सच्चाई जानने के लिए हाथ की अंगुली कटी होने व चेहरे पर निशान के बारे में पूछा तो पुलिस ने इसकी तस्दीक की. इसके बाद पूरा विश्वास होने पर बड़े बेटे अंशुल को पहचान के लिए भेजा गया. बेटे को दस साल बाद आंखों के सामने पाकर उनके चेहरे खुशी से खिल गए और उन्होंने पुलिस की प्रशंसा की.

डीसीपी सेंट्रल नोएडा शक्तिमोहन अवस्थी ने जानकारी देते हुए बताया कि बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश कर बयान दर्ज करा दिए गए हैं. उसको स्वजन के सुपुर्द कर दिया गया है. साथ ही उन्होंने टीम को 25 हजार रुपये का ईनाम दिए जाने की भी घोषणा की.

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