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Ahmedabad Accident: टेकऑफ या लैंडिंग कब होता है विमान क्रैश का सबसे ज्यादा खतरा? जानिए कारण

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गुजरात के अहमदाबाद से लंदन जा रहा एयर इंडिया का विमान क्रैश हो गया।  विमान में क्रू मेंबर समेत 242 यात्री सवार थे। टेक-ऑफ के दौरान प्लेन क्रैश होने की यह कोई पहली घटना नहीं है।अब सवाल उठता है कि विमान के टेकऑफ और लैंडिंग के दौरान कब-कब हादसे का खतरा रहता है, जानिए इसका जवाब। 

गुजरात के अहमदाबाद में गुरुवार को 1.30 बजे अहमदाबाद के मेघानी नगर क्षेत्र में टेकऑफ के दौरान यात्री से भरा AI 171 विमान क्रैश हो गया। एयर इंडिया का यह विमान अहमदाबाद से लंदन जा रहा था. दावा किया गया है कि विमान का पिछला हिस्सा पेड़ से टकराया था। विमान में क्रू मेंबर समेत 242 यात्री सवार थे। टेक-ऑफ के दौरान प्लेन क्रैश होने की यह कोई पहली घटना नहीं है। इसके पहले भी कई बार प्लेन क्रैश हो चुकी है लेकिन क्रैश होने की वजह क्या है यहां पढ़िए।

फ्लाइट सेफ्टी फाउंडेशन की रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर में होने वाले कुल विमान हादसों में 49% हादसे लैंडिंग के दौरान और 14% टेकऑफ के समय होते हैं। ये दोनों चरण बेहद संवेदनशील होते हैं क्योंकि इस दौरान विमान ज़मीन से सबसे करीब होता है और उसमें सुधार का समय बहुत कम होता है।

टेकऑफ के दौरान जोखिम ज्यादा क्यों?

टेकऑफ के समय विमान की स्पीड तेजी से बढ़ रही होती है और यह रनवे छोड़ने की तैयारी में होता है। इस दौरान सबसे बड़ा खतरा बर्ड स्ट्राइक पक्षियों के इंजन से टकराने का होता है, जिससे इंजन फेल हो सकता है। यही हुआ था US Airways Flight 1549 के साथ, जिसने हडसन नदी में इमरजेंसी लैंडिंग की थी।

इसके अलावा, इंजन फेल होना, फ्लैप्स-स्लैट्स में गड़बड़ी, रनवे पर फिसलना, लोडिंग में असंतुलन, और खराब मौसम भी हादसे की वजह बन सकते हैं। टेकऑफ की स्पीड या रनवे की दूरी का गलत आकलन से भी दुर्घटना संभव है।

लैंडिंग के दौरान कब प्लेन क्रैश का रिस्क ज्यादा?

दुनियाभर में जितने भी विमान हादसे होते हैं, उसमें सबसे ज्यादा घटनाएं लैंडिंग के दौरान होती हैं। जांच रिपोर्ट के आधार पर इसकी कई वजह बताई गई हैं। पहली है हार्ड लैंडिंग या बाउंस, जब विमान जमीन को जरूरत से ज्यादा प्रेशर के साथ टच करता है तो लैंडिंग गियर और दूसरे हिस्सों के टूटने का खतरा रहता है। अगर विमान रनवे की तय रेंज के बाहर निकलने के बाद लैंड करता है तो ओवररन की यह घटना भी दुर्घटना की वजह बन सकती है। अचानक दिशा बदलने से भी लिफ्ट कम हो जाती है और विमान नीचे गिर सकता है।

कोहरा, बारिश या बर्फबारी जैसे लो-विजिबिलिटी के मामलों में रनवे स्पष्ट न दिखने पर भी हादसे का खतरा बना रहता है, जिससे लैंडिंग मुश्किल हो जाती है। लैंडिंग व्हील न खुलने या टूटने पर भी हादसा हो सकता है। गलत एंगल से लैडिंग या बहुत तेज या धीमी स्पीड के साथ विमान उतरना भी रिस्की होता है। रनवे पर बाधा की मौजूदगी और ईधन की कमी भी मुश्किल को बढ़ा सकती है।

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