Mahakumbh में आये नागा साधुओं को कर दिया ये दान, चमक उठेगी एक झटके में किस्मत, पढ़ें

- Nownoida editor3
- 20 Jan, 2025
नागा साधु, भारतीय संतों की एक अद्वितीय श्रेणी है, जिनके जीवन का हर पहलू रहस्यमयी और तपस्या से भरा होता है। वे अपने संपूर्ण जीवन को भगवान शिव की भक्ति में समर्पित कर देते हैं। आमतौर पर इन्हें महाकुंभ मेले में प्रमुखता से देखा जाता है, जहां वे सबसे पहले अमृत स्नान करते हैं। नागा साधु बनने के लिए कठिन तपस्या और अनुशासन की आवश्यकता होती है।
नागा साधुओं को क्या दान करें?
अगर कोई नागा साधु आपके घर भिक्षा मांगने आए तो उन्हें खाली हाथ न लौटाएं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, उन्हें भस्म और रुद्राक्ष का दान करना अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। यह भगवान शिव को प्रसन्न करने के समान है। इसके अलावा, खाने की सामग्री या अन्य आवश्यक चीजें भी दी जा सकती हैं, जिनका उपयोग वे अपने जीवन यापन के लिए करते हैं।
पिंडदान और समाधि: नागा साधुओं की अंतिम यात्रा
नागा साधु जीवित रहते हुए ही अपना पिंडदान कर लेते हैं, जो कि सामान्यतः मृत्यु के बाद किया जाता है। उनकी मृत्यु के बाद उन्हें भू या जल समाधि दी जाती है। नागा साधुओं का दाह संस्कार नहीं किया जाता, क्योंकि वे पहले ही सांसारिक जीवन का त्याग कर चुके होते हैं। मृत्यु के बाद उनके शरीर पर भस्म लगाई जाती है और भगवा वस्त्र पहनाए जाते हैं।
जूना अखाड़ा: नागा साधुओं का सबसे बड़ा संगठन
नागा साधुओं के 13 प्रमुख अखाड़ों में जूना अखाड़ा सबसे बड़ा है, जिसमें करीब 5 लाख नागा साधु और महामंडलेश्वर शामिल हैं। ये साधु धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध होते हैं। प्रयागराज महाकुंभ में हाल ही में 5 हजार नए नागा साधुओं का दीक्षा समारोह आयोजित किया गया, जिसमें उन्होंने पिंडदान और अवधूत बनने की प्रक्रिया को अपनाया।
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