Hapur: सिखेड़ा CHC में लापरवाही की नई मिसाल, हाथ में ड्रिप, आंखों में दर्द, मरीज खुद बना अपनी जान का रखवाला!

- Rishabh Chhabra
- 21 Jun, 2025
हापुड़ ज़िले में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही थमने का नाम नहीं ले रही है। एक के बाद एक सामने आ रहे मामले यह बताने के लिए काफी हैं कि अस्पतालों में मरीजों की जिंदगी से खुलेआम खिलवाड़ हो रहा है। ताजा मामला सिखेड़ा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) का है, जहां इलाज के नाम पर ऐसा नजारा देखने को मिला, जिसने सभी को हैरान कर दिया।
मरीज खुद हाथ में ड्रिप लेकर ढूंढ़ता रहा स्टाफ
दरअसल, एक मरीज को जब हाथ में ड्रिप लगाई गई और वह पूरी तरह खत्म हो गई, तो उसके बाद ड्रिप में खून वापस लौटने लगा। लेकिन इस पर ध्यान देने वाला कोई भी मेडिकल स्टाफ वहां पर मौजूद नहीं था। मजबूर होकर मरीज खुद ही हाथ में ड्रिप लेकर अस्पताल में स्टाफ को ढूंढ़ता हुआ नजर आया। ये शर्मनाक दृश्य अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है और सवाल उठा रहा है कि क्या मरीजों की जान की कोई कीमत नहीं?
मरीजों की जान से किया जा रहा खिलवाड़
मरीज का यूं हाथ में ड्रिप लेकर अस्पताल के चक्कर लगाना बताता है कि स्वास्थ्य विभाग की नींद कितनी गहरी है। यह घटना न केवल लापरवाही है, बल्कि मरीजों की जान से खिलवाड़ भी है। अस्पताल में मौजूद स्टाफ की गैरमौजूदगी और उनकी संवेदनहीनता ने स्वास्थ्य विभाग की पोल खोल कर रख दी है।
पहले भी सामने आ चुके स्टाफ की लापरवाही के मामले
यह पहला मौका नहीं है जब सिखेड़ा सीएचसी चर्चा में आया है। कुछ समय पहले इसी अस्पताल में एक महिला का प्रसव टॉर्च की रोशनी में कराया गया था। उस दर्दनाक घटना में दो नवजात शिशुओं की मौत हो गई थी। बावजूद इसके, ना तो कोई सुधार हुआ, ना ही जिम्मेदारों पर कोई सख्त कार्रवाई की गई। नतीजा ये कि अब फिर एक नया मामला सामने आ गया है।
स्वास्थ्य विभाग मुख्यमंत्री की मंशा पर फेर रहा पानी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बार-बार स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने की बात कर रहे हैं, लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही तस्वीर पेश कर रही है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि हापुड़ का स्वास्थ्य विभाग मुख्यमंत्री की मंशा पर पानी फेरने का काम कर रहा है। जरूरत है तो बस इस बात की कि इन घटनाओं को नजरअंदाज करने के बजाय प्रशासन सख्त कदम उठाए। दोषी कर्मचारियों पर कार्रवाई हो और स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने की दिशा में ठोस पहल की जाए। वरना ऐसी घटनाएं आगे भी मरीजों की जान पर भारी पड़ती रहेंगी।
ऐसी लापरवाहियों को रोकना अब वक्त की ज़रूरत है, वरना लोगों का सरकारी अस्पतालों से भरोसा उठ जाएगा।
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