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Noida: ‘ना भुगतान, ना सुनवाई’, छोटे सप्लायर्स की सांसें अटकीं, कैटरिंग में करोड़ों का खेल?

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नोएडा में आईआरसीटीसी (भारतीय रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन) से जुड़े एक बड़े वेंडर अंबुज होटल एंड रियल एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड पर उसके ही को-वेंडर्स ने गंभीर आरोप लगाए हैं। वेंडरों का कहना है कि उन्हें पिछले 6 से 8 महीनों से भुगतान नहीं मिला है, जिससे वे आर्थिक और मानसिक संकट में हैं। वहीं, कंपनी ने इन आरोपों को पूरी तरह गलत और झूठा बताया है।

सैकड़ों छोटे सप्लायर्स का करोड़ों का भुगतान रुका

सोमवार को नोएडा के सेक्टर-29 में प्रेस वार्ता के दौरान एमएसएमई वेंडर्स और छोटे सप्लायरों ने बताया कि अंबुज होटल एंड रियल एस्टेट, जो आईआरसीटीसी की अधिकृत कैटरिंग कंपनी है, पूरे भारत में 60 से अधिक ट्रेनों, जिनमें मेल, एक्सप्रेस और वंदे भारत शामिल हैं, इसमें फूड सर्विस संचालित की जाती है। लेकिन इस कंपनी ने सैकड़ों छोटे सप्लायर्स का करीब 7 से 8 करोड़ रुपये का भुगतान रोक रखा है।

इन वेंडरों ने कहा कि उन्होंने कंपनी को GST इनवॉइस और जरूरी दस्तावेजों के साथ सप्लाई दी थी। लेकिन जब भी वो भुगतान मांगने के लिए सेक्टर-6 के कंपनी के ऑफिस जाते हैं, उन्हें बाउंसरों से धमकाया जाता है। कई बार मारपीट की घटनाएं भी सामने आई हैं।

“मानसिक स्थिति बिगड़ चुकी है, आत्महत्या जैसे ख्याल आ रहे हैं”

वेंडरों ने भावुक होते हुए कहा कि महीनों से बकाया न मिलने से उनका व्यापार ठप हो गया है। बैंक की किश्तें, घर का खर्च, और कर्मचारियों की तनख्वाह तक अटक गई है। कई वेंडर मानसिक रूप से टूट चुके हैं और कुछ ने तो यहां तक कहा कि “अब आत्महत्या जैसे ख्याल भी आने लगे हैं।”


वेंडरों ने आईआरसीटीसी और सरकार से मांग की है कि:

अंबुज होटल एंड रियल एस्टेट का टेंडर रद्द किया जाए।

वेंडरों का बकाया तुरंत दिलाया जाए।

मामले की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए।

एक ठोस वेंडर प्रोटेक्शन फ्रेमवर्क बनाया जाए, ताकि आगे ऐसे हालात न बनें।

कंपनी ने दी सफाई, वेंडरों के आरोप झूठे 

दूसरी ओर, अंबुज होटल एंड रियल एस्टेट की ओर से एक बयान जारी कर इन आरोपों को पूरी तरह बेबुनियाद बताया गया है। कंपनी का कहना है कि जो लोग खुद को वेंडर्स का प्रतिनिधि बता रहे हैं, वे गलत जानकारी फैला रहे हैं। उनके मुताबिक यह सब कुछ कंपनी की छवि को खराब करने और मीडिया व सरकारी अधिकारियों को गुमराह करने की साजिश है।

कंपनी ने यह भी कहा है कि वह इन झूठे आरोपों के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर करेगी।


यह विवाद अब एक गंभीर रूप ले चुका है, जहां एक तरफ छोटे वेंडर अपनी रोजी-रोटी के संकट से जूझ रहे हैं। तो वहीं दूसरी तरफ कंपनी इसे बदनाम करने की साजिश बता रही है। अब देखने वाली बात यह होगी कि आईआरसीटीसी और संबंधित सरकारी विभाग इस मामले में किस तरह का कदम उठाते हैं, क्योंकि मुद्दा सिर्फ पैसे का नहीं, भरोसे और व्यवस्था की साख का है।

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